ए सियासत..इस भीड़ के मायने क्या हैं?
अश्वनी त्रिपाठी, बागपत सियासत के गढ़ में हाथों में भाजपाई झंडा और जुबान पर योगी-योगी। उमड
अश्वनी त्रिपाठी, बागपत
सियासत के गढ़ में हाथों में भाजपाई झंडा और जुबान पर योगी-योगी। उमड़ी भीड़ ने गिला-शिकवा किया, लेकिन हृदय में भगवा नुमाइंदों के लिए कोई जहर नहीं। यही वजह रही कि जनसभा में पहुंची हजारों की भीड़ ने अपना दर्द तो खूब जाहिर किया, लेकिन उपचार का ऐलान हुआ तो जयकारों से पंडाल गूंज उठा। अब सियासत बड़ौत में जुटी अपार भीड़ के निहितार्थ तलाशने में जुट गई है।
बागपत लोकसभा सीट पर एक बार छोड़कर हमेशा लोकदल ने नेतृत्व किया। मोदी लहर में यहां मुंबई के पूर्व कमिश्नर डा.सत्यपाल ¨सह ने विजय हासिल की। इस चुनाव में फिर से डा. सत्यपाल लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में डा. सत्यपाल के लिए अपनी प्रतिष्ठा तथा प्रभाव को साबित करने की चुनौती हैं। बड़ौत में हुई रैली से उनके सियासी दबदबे को आंका जा रहा है। बड़ौत में आई हजारों की भीड़ से राजनैतिक सूरमा यह आकलन लगाने में जुटे हैं कि आखिर उनका जिले की जनता पर प्रभाव कितना है। मंगलवार को हुई रैली में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी के नारे हर एक की जुबान पर थे। आलम यह रहा कि योगी-योगी से फिजा गूंज उठी। हजारों की भीड़ में पहुंचे लोगों ने अपना कुछ दर्द भी जाहिर किया। कोई आंगनबाड़ी था, तो कोई शिक्षामित्र। जब योगी ने बोलना शुरू किया तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी के साथ गलत नहीं होगा। गन्ना किसानों का पेमेंट 15 अक्टूबर तक होगा। इस ऐलान से आक्रोशित भीड़ शांत हो गई, और फिर योगी-योगी के नारे गूंजने लगे। क्षेत्रीय सियासत में आज पहुंची भीड़ का आंकलन ही नहीं लगाया जा रहा, इससे पहले हुई प्रधानमंत्री की रैली तथा रमाला में हुई सीएम योगी की रैली को भी जोड़कर देखा जा रहा है। जिस तरह से बड़ौत में आज भीड़ को देखकर सीएम योगी तथा केंद्रीय मंत्री गडकरी गदगद दिखे, उससे आंकलन लगाया जा रहा है कि भीड़ को लेकर भाजपा नेतृत्व संतुष्ट रहा।