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खोदाई के संकेतः सिनौली की धरती में कहीं कोई राजघराना तो दफन नहीं

बागपत के बरनावा तथा सिनौली में काम कर रही एएसआइ की टीम को खोदाई में यहां किसी समय राजघराना होने के प्राथमिक संकेत मिले हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 10:10 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 10:10 PM (IST)
खोदाई के संकेतः सिनौली की धरती में कहीं कोई राजघराना तो दफन नहीं
खोदाई के संकेतः सिनौली की धरती में कहीं कोई राजघराना तो दफन नहीं

बागपत (जेएनएन)। महाभारतकालीन लाक्षागृह का सच जानने और इस रहस्य से पर्दा उठाने के मकसद से बागपत जनपद के बरनावा तथा सिनौली में काम कर रही एएसआइ की टीम को खोदाई में यहां किसी समय राजघराना होने के प्राथमिक संकेत मिले हैं। कब्रगाहों को देखकर लगता है कि ये लोग कभी योद्धा रहे होंगे। सिर का सुरक्षा कवच, खंजर, तलवार तथा ढाल की बरामदगी यह इशारा करती हैं कि सिनौली की धरती के नीचे किसी राजघराने का इतिहास दफन है। ये लोग महाभारतकालीन थे या कोई और, शोध किया जा रहा है।  

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की देखरेख में जनवरी माह में बरनावा और मार्च में सिनौली गांव में शुरू हुआ खोदाई कार्य अब बंद कर दिया है।

किस काल के होने को लेकर पड़ताल

सिनौली में उत्खनन के दौरान आठ शवों के अवशेष मिले थे। इनमें तीन शव ताबूत में हैं, जबकि तीन हड्डियों को एकत्र कर दफनाए गए हैं। दो शव सांकेतिक रूप से दफन हैं। एक कुत्ते के शव के अलावा शवों के साथ दफनाए गई सामग्र्री के अवशेष भी मिले। शवों के साथ जो सामग्र्री मिली है, उससे इनके शाही कब्रगाह होने का अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि यहां दफन लोगों में से कुछ योद्धा भी रहे होंगे। अब ये योद्धा महाभारतकाल के थे या किसी अन्य काल के, इसकी पड़ताल चल रही है। इनके अलावा आठ कब्र मिली हैं। इनमें एक कब्र बड़ी है, जिसके साथ दो रथ मिले हैं। कब्र में शव रखने की दिशा उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व है। तांबे का हेलमेट सुरक्षा कवच), दो पाइपनुमा चीजें भी मिली हैं। हैंडल लगा खंजर भी ताबूत के नीचे मिला है। एक एंटिना (स्पर्श सूत्र) सहित तलवार और तांबे की मशाल भी बरामद सामग्र्री का हिस्सा है। ताबूत के दाहिने तरफ तांबे की धडऩुमा ढाल मिली है। बरनावा में हिंडन नदी किनारे और लाक्षागृह के टीले पर खुदाई के दौरान पॉटरी, सिक्के, घड़े, मानव कंकाल, दीवार, फर्श आदि मिले। 

तीन रथ, तीन ताबूत समेत आठ अवशेष 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान संजय मंजुल निदेशक ने कहा कि सिनौली गांव के उत्खनन में आठ शवों के अवशेष, तीन रथ, तीन ताबूत और अन्य महत्वपूर्ण सामग्र्री बरामद हुई है, जो 3800 से 4000 साल पुरानी प्रतीत होती है। रथ और ताबूत भारतीय उपमहाद्वीप में पहली बार मिले हैं। बरामद सामग्र्री से ऐसा भी लगता है कि यहां किसी काल में कोई राजवंश रहा हो। 

....कोई नया इतिहास आ सकता सामने

बागपत के सिनौली में हुई खोदाई में तीन रथ ऐसे मिले हैं, जिन पर राजा या योद्धा बैठकर चला करते थे। हालांकि ये रथ महाभारत काल के हैं या नहीं, इस पर अभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मुहर लगनी बाकी है। यहां मिले प्रमाण शोधकर्ताओं की जिज्ञासा बढ़ा रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है कि सिनौली की खुदाई से कोई नया इतिहास निकलकर सामने आ जाए। एमएम कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केके शर्मा कहते हैं कि बागपत जनपद पुरातन काल से इतिहास का धनी है। यहां और खोदाई की जाए तो उत्तर वैदिक काल और हड़प्पा सभ्यता के बीच संबंध का पता चल सकता है। वह कहते हैं, ताम्र युग में दफनाने और पुनर्जन्म की मान्यता थी, इसलिए सिनौली में रथों के पास मिले शव किसी राजघराने के भी हो सकते हैं। संभव है कि मरने के बाद पुनर्जन्म की मान्यता के मुताबिक उनका पसंदीदा सामान भी साथ दफना किया गया हो। 

मिली थीं 160 कब्र

बागपत और आसपास के क्षेत्रों को महाभारत काल से जोड़कर देखा जाता है। बागपत को उन पांच गांवों में से माना जाता है, जिसे पांडवों ने युद्ध से पहले कौरवों से मांगा था। बरनावा के लाक्षागृह को भी महाभारतकालीन माना जाता है। उधर, सिनौली में जिस स्थान पर खोदाई हुई है, उससे महज 120 मीटर दूरी पर 2004-05 में 160 कब्रें मिली थीं, लेकिन अभी तक आबादी वाला स्थान नहीं मिल सका है।


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