उच्च शिक्षा पाने की राह अब भी कठिन
आजादी के 71 वर्ष बाद भी उच्च शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा लेना बागपतवासियों के लिए अब भी बड़ा सपना है।
बागपत: आजादी के 71 वर्ष बाद भी उच्च शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा लेना बागपतवासियों के लिए अब भी बड़ा सपना है। इंटर पास करने वालों में 50 फीसदी युवा उच्च शिक्षा हासिल करने से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि यहां डिग्री कालेज कम हैं। हम भले ही व्यावसायिक शिक्षा के दम पर बेरोजगारी मिटाने का ढोल पीटते नहीं थकते हों, लेकिन सच यह है कि व्यावसायिक शिक्षा को बागपत में पर्याप्त कालेज और कोर्स नहीं। सियासी सूरमाओं का हाल यह है कि चुनाव का आगाज होते ही बागपत को एजुकेशन हब बनाने का सपना दिखाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं, फिर गायब हो जाते हैं।
जिला बनने के 20 साल बाद भी बागपत में कोई राजकीय डिग्री कालेज नहीं खुला। छपरौली में महज एक राजकीय कन्या डिग्री कालेज है, लेकिन उसकी हालत भी
ज्यादा अच्छी नहीं है। अशासकीय सहायता प्राप्त मात्र पांच डिग्री कालेज हैं जिनमें बड़ौत में तीन, खेकड़ा में एक और रमाला में एक डिग्री कालेज है। बाकी 105
सेल्फ फाइनेंस कालेज हैं जिनमें पढ़ाई लिखाई कम, कमाई ज्यादा होती है। स्थिति यह है कि हर साल इंटर पास युवाओं में आधे बीए,बी कॉम, बीएससी
और बीएससी एग्रीकल्चर तक में एडिमशन नहीं मिलता। चालू सत्र आठ हजार से ज्यादा युवा डिग्री कालेज में एडिमशन से वंचित रह गए थे। हालांकि, सीएम आदित्यनाथ ने बागपत में राजकीय डिग्री कालेज मंजूर किया, लेकिन अफसरान चार माह बाद भी जमीन नहीं तलाश सके।
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व्यावसायिक शिक्षा सपना
व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के नाम पर यहां महज एक राजकीय आइटीआइ कालेज खेकड़ा में है। कोताना और किरठल में दो राजकीय आइटीआइ कालेजों के भवन बन चुके हैं, लेकिन दो साल बाद भी कक्षाएं संचालित नहीं हुईं। एक सहायता प्राप्त दिगंबर जैन पॉलीटेक्निक कालेज बड़ौत में है। पांच सेल्फ फाइनेंस पॉलीटेक्निक कालेज हैं जिनमें जेब खाली करने पर ही एडिमशन मिलता है। मेडिकल कालेज नहीं, लेकिन पैरामेडिकल कोर्स कराने को चार सेल्फ फाइनेंस कालेज हैं, जिनमें गरीब युवक पढ़ाई नहीं कर सकते, क्योंकि एडिमशन और फीस के नाम पर मोटी वसूली होती है। पांच सेल्फ फाइनेंस आइटीआई कालेजों में भी पैसे के दम पर तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकते
हैं। अपवाद छोड़ दें तो सेल्फ फाइनेंस कालेजों में हर समय सन्नाटा छाया रहता है, कयोंकि एडिमशन लेकर युवा केवल परीक्षा देने आते हैं। थोड़ी राहत यह है कि सिड ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान तथा प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र में युवा पीढ़ी विभिन्न ट्रेड में कुछ माह के कोर्स की ट्रेनिग लेकर रोजगार की राह आसान बना रहे हैं।
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दूसरे जिलों में चल रहे
बागपत के कालेज
कोताना और किरठल में आइटीआइ कालेज बन चुके हैं, लेकिन कागजों में दोनों कालेज संचालित हैं। दरअसल किरठल आइटीआइ कालेज में एडिमशन पाने वाले युवक सहारनपुर के आइटीआइ कालेज में पढ़ते हैं। वहीं कोताना कालेज के युवक अमरोह आइटीआइ कालेज में पढ़ते हैं।
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कंप्यूटर से दूर
बागपत के भविष्य का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि चालू साल में हाईस्कूल तथा इंटर के 30 हजार छात्र-छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा दी लेकिन इनमें कंप्यूटर विषय में महज 210 छात्र-छात्राओं के पास है।
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इन कोर्स की दरकार
बागपत को उन कालेजों की जरुरत है जिनमें बैंकिग, कार्यालय सचिव, स्टेनोग्राफर, लेखा, विपणन, खुदरा वित्तीय बाजार प्रबंधन, कारोबार प्रशासन, इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेशन, इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी, भूगर्भ प्रौद्योगिकी, आटोमोबाइल प्रौद्योगिकी, आईटी एप्लीकेशन, मेडिकल लैबोरेटरी तकनीकी, नर्सिंग, एक्स रे तकनीक, स्वास्थ्य विज्ञान व सौंदर्य अध्ययन, फैशन डिजाइनिंग, टेक्सटाइल डिजाइन, संगीत तकनीक उत्पाद, सौंदर्य सेवा, परिवहन प्रणाली, जीवन बीमा, पुस्तकालय विज्ञान, पोल्ट्री फार्मिंग, सब्जी उत्पादन, डेयरी विज्ञान, खाद्य उत्पादन, मास मीडिया एवं मीडिया प्रोडक्शन, बेकरी, यात्रा एवं पर्यटन व इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर और टेलीकॉम जैसी ट्रेड की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार मिलने की असीम संभावना रहती है।
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'अफसोस कि दिल्ली के पास होने के बावजूद बागपत में उच्च शिक्षा तथा व्यवासायिक शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। हम लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों से पूछेंगे कि जीतने के बाद बागपत में उच्च शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था कराएंगे या नहीं।'
-छात्र अभिषेक-बागपत।
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'यह बागपत का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि एक भी राजकीय डिग्री कालेज नहीं है जहां गरीबों युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। जनता को अब लोकसभा चुनाव में नेताओं से पूछना चाहिए कि बागपत का भविष्य संवारने को शिक्षा के क्षेत्र में क्या किया है।'
-छात्रा शिवानी यादव
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इन्होंने कहा..
सिड ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान तथा पीएम कौशल विकास केंद्र से युवाओं को विभिन्न ट्रेड का प्रशिक्षण मिलता है। उच्च शिक्षा पाने वालों की तादाद बढ़ रही है।
शासन से मंजूर डिग्री कालेज की जमीन का मामला लोकसभा चुनाव बाद फाइनल होगा।
-ब्रजेंद्र कुमार, डीआइओएस।