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पर्यूषण पर्व के दूसरे श्रद्धालुओं ने की मार्दव धर्म की पूजा

बड़ौत (बागपत): पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन जैन मंदिरों में विधानों के बीच विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानो

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 08:30 PM (IST)
पर्यूषण पर्व के दूसरे श्रद्धालुओं ने की मार्दव धर्म की पूजा
पर्यूषण पर्व के दूसरे श्रद्धालुओं ने की मार्दव धर्म की पूजा

बड़ौत (बागपत): पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन जैन मंदिरों में विधानों के बीच विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुओं ने उत्तम मार्दव धर्म की पूजा की।

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शहर के श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर कमेटी मंडी बड़ौत के तत्वावधान में मुनि श्री 108 सुरतन सागर ससंघ के पावन सानिध्य में अजितनाथ मंदिर मंडी में श्री दशलक्षण महामंडल विधान का आयोजन किया गया। सुबह छह बजे देवाधिदेव अजितनाथ भगवान की जिन प्रतिमा का श्रद्धालुओं ने गर्म प्रासुक जल से अभिषेक किया। शांतिधारा का सौभाग्य सौधर्म इंद्र सुरेश जैन को प्राप्त हुआ। उसके बाद ब्रह्मचारिणी मधु दीदी व सीमा दीदी के निर्देशन में 500 से अधिक जैन श्रद्धालुओं ने संगीतमय नित्य नियम पूजन किया, जिसके अंतर्गत देव शास्त्र गुरु पूजन, मुनि सुव्रतनाथ भगवान पूजन, पंचमेरु पूजन तथा सोलहकारण पूजन की गई। सौधर्म इंद्र द्वारा मंडल पर अ‌र्घ्य समर्पित किए गए।

विधान के मध्य संगीतकार विकास म्यूजिकल ग्रुप के मधुर संगीत पर श्रद्धालुओं ने भाव विभोर होकर नृत्य किया। विधान के मध्य प्रवचन देते हुए मुनि श्री सुरतन सागर ने कहा कि आज उत्तम मार्दव धन का दिन है, अर्थात उत्तम मार्दव धर्म हमें सिखाता है मान को दूर करना, अहंकार हटाना। आज व्यक्ति मान की ¨जदगी जी रहा है। उसके अंदर अहंकार की भावना भर चुकी है। वह हमेशा प्रयास करता है कि दूसरे को कैसे नीचा दिखाया जाए और अपने को श्रेष्ठ साबित करे। सभा का संचालन वरदान जैन ने किया। सभा में सुभाष जैन, महेंद्र जैन, मुकेश जैन, प्रदीप जैन, प्रवीण जैन, राजेश जैन, अमित जैन, सतीश जैन आदि उपस्थित थे। रात्रि में मंदिर जी में गुरु भक्ति तथा संगीतमय आरती हुई। इसके बाद माउंट लिट्रा जी स्कूल के बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। पुरस्कार वितरण जैन मिलन नगर द्वारा किया गया, जिसमें संजय जैन, विकेश जैन, नरेंद्र राजकमल, राजेश भारती ,प्रवीण जैन आदि उपस्थित थे। उधर, श्री 1008 शांति नाथ दिगंबर जैन मंदिर में पंडित राजकुमार शास्त्री द्वारा विधान की क्रियाएं पूर्ण कराई गई। इस मौके पर अध्यक्ष रमेश चंद जैन, नवीन जैन बब्बल, राजेश जैन, अनिल जैन, बाल किशन, सचिन, सतीश, बालेश जैन, महेश जैन आदि मौजूद रहे। इसके अलावा बड़ा जैन मंदिर, पा‌र्श्वनाथ मंदिर में भी विधान का आयोजन किया गया।

उधर, छपरौली में इस दौरान जैन मंदिरों में श्रावक-श्राविकाओं ने उत्तम मार्दव धर्म अंगीकार किया। इस दौरान विनय भाव को धारण करने और मान कषाय के दमन का संकल्प लिया गया। श्री1008 भगवान महावीर स्वामी दिगंबर जैन मंदिर में श्रावकों ने प्रभु की भक्तिभाव से संगीतमय पूजन की। वहीं श्री 1008 भगवान पा‌र्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में प्रभु की पूजा-अर्चना को कतारें लगी रहीं। इस मौके पर अशोक जैन ने कहा कि मार्दव का अर्थ मृदुता और उत्तम का अर्थ है श्रेष्ठ। अत: जहां श्रेष्ठ मृदुता है, वहीं उत्तम मार्दव धर्म है। जीवन के विकास के लिए अहं का विसर्जन आवश्यक है, क्योंकि अहं से ग्रसित व्यक्ति के अंदर कभी भी समर्पण का भाव नहीं आ सकता। इस मौके पर अजय जैन, सुखमाल जैन, राजेश जैन, अभिषेक जैन, पीयूष जैन, अर¨वद जैन, ¨प्रस जैन, नीलम जैन, कल्पना जैन, मेघा जैन आदि मौजूद रहे।

जैन मंदिर में उत्तम मार्दव धर्म की पूजा

बागपत: श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर बागपत में उत्तम मार्दव धर्म की पूजा की गई। पंडित अशोक जैन और मयंक जैन के दिशा-निर्देशन में भगवान श्री 1008 अजितनाथ, नेमिनाथ, शांतिनाथ और भगवान पा‌र्श्वनाथ का शुद्ध जल के साथ अभिषेक कराया गया। इसके उपरांत शांतिधारा की बोली अतुल आदि ने प्राप्त की है। पंडित जी ने कहा कि दशलक्ष्ण महापर्व का द्वितीय दिवस उत्तम मार्दव धर्म है। दया पालना ही जिन शासन का सार है। शाम को आरती बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिसमें बच्चों ने अपनी प्रस्तुति देकर बड़ों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान जैन समाज के पीयूष, बिजेंद्र, अतुल, नीलम, प्रिया, पुनीत, नमन, विकास, मोहित समेत अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।

उत्तम मार्दव धर्म अंगीकार करने का लिया संकल्प

संवाद सहयोगी, खेकड़ा : क्षेत्र के जैन मंदिर में चल रहे दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने सामूहिक पूजन कर भगवान से शांति की कामना की। श्रद्धालुओं ने जीवन में उत्तम मार्दव धर्म अपनाने का संकल्प लिया। नगर के जैन कालेज रोड स्थित भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर में ब्रह्मचारी अक्षय कुमार जैन ने भगवान महावीर का विधि विधान से अभिषेक कराया। पूजन के बाद पूजन में श्रद्धालुओं ने भगवान को पंचपरमेष्ठी विधान में 95 अ‌र्घ्य समर्पित किए। धर्मसभा में अक्षय कुमार ने कहा कि अहंकार पाप का दाता है, इसलिए अहंकार को त्यागकर लोगों को उत्तम मार्दव धर्म को स्वीकार करें। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे विधान में सौधर्म इंद्र संजय जैन, ईशान इंद्र ओमप्रकाश जैन, कुबेर प्रवीण जन व इंद्र विनय जैन बने। बड़ागांव के त्रिलोकतीर्थ धार्म में प्रवचन करते हुए दृष्टि भूषण माताजी ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म मान-कषायों का विनाश करने वाला है। मान-कषाय को हृदय में जगह नहीं देनी चाहिए।


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