पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म अंगीकार
संवाद सहयोगी, बड़ौत (बागपत) : दशलक्षण पर्व के शुभारंभ पर जैन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों क
संवाद सहयोगी, बड़ौत (बागपत) : दशलक्षण पर्व के शुभारंभ पर जैन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के बीच विधानों का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म को अंगीकार किया गया।
शहर के श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर कमेटी मंडी के तत्वावधान में मुनि श्री 108 सूरतन सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर मंडी में श्री दस महामंडल विधान का भव्य आयोजन किया गया। विधान का शुभारंभ झंडारोहण के साथ जयंती प्रसाद जैन डाबर वालों ने किया। चित्र अनावरण मुकेश जैन ने तथा दीप प्रज्ज्वलन जितेंद्र कुमार सौरभ जैन ने किया। जिनवाणी स्थापना ¨बदु जैन ने, महाआरती मुकेश जैन ने तथा शास्त्र भेंट मनोज जैन ने किया।
विधान में सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य सुनील कुमार जैन मसाले वालों को प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम जिनेंद्र भगवान की जिन प्रतिमा का पीत वस्त्र धारी इंद्र गणों ने अभिषेक किया तथा मुनिराज द्वारा बोले गए दिव्य मंत्रों के मध्य शांति धारा सौधर्म इंद्र सुनील जैन द्वारा की गई। तत्पश्चात नित्य नियम पूजन में देव शास्त्र गुरु पूजन, अजितनाथ भगवान पूजन, पंचमेरु पूजन, तथा दशलक्षण धर्म की पूजा की गई। दसलक्षण विधान की पूजा के अंतर्गत उत्तम क्षमा धर्म की पूजन की गई तथा सभी जैन श्रद्धालुओं द्वारा उत्तम क्षमा धर्म अंगीकार किया गया।
विधान का निर्देशन ब्रह्मचारिणी मधु दीदी व सीमा दीदी ने किया। संगीतकार विकास म्यूजिकल ग्रुप द्वारा सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर मुनि सूरतन सागर जी महाराज ने कहा आज उत्तम क्षमा का दिन है। हम सभी को अपने द्वेष को भूलकर क्षमा देनी चाहिए तथा अपनी भूलों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। क्षमा वीरस्य भूषणम् अर्थात क्षमा ही वीरों का आभूषण है। भाई को भाई के प्रति क्षमा भाव रखना चाहिए उसकी गलती को ध्यान ना देते हुए वात्सल्य देना चाहिए तथा प्रेम भाव रखना चाहिए। इस अवसर पर सुभाष जैन, सुरेश चंद जैन, अशोक जैन, वरदान जैन, इंद्राणी जैन, सरला जैन, अलका जैन, स्नेही जैन, सुनीता जैन आदि मौजूद रहे। शाम को छह बजे मंदिर जी में गुरु भक्ति आरती तथा गुरुकुल बरनावा के बच्चों द्वारा सुंदर नृत्य नाटिका तथा धार्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका पुरस्कार वितरण आदेश जैन द्वारा किया गया। इसके अलावा बड़ा जैन मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, शांतिनाथ मंदिर में विधानों का आयोजन किया गया।