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सिमरन की 'स्विंग' पर पाबंदियां 'क्लीन बोल्ड'

क्रिकेट में धूम मचा रही सिमरन चौधरी उसी मुस्लिम बाहुल असारा गांव की है जहां बेटियों पर घर से निकलने समेत तमाम पाबंदी लगा दी थी। पर उसने हिम्मत हारने के बजाय हौसले की गेंद से हरियाणा क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर समाज के कथित ठेकेदारों की तालिबानी सोच आउट करने की मिसाल पेश की। पाबंदियां ही नहीं बल्कि गरीबी को मात देने में उसे साथ मिला हिदू कोच मुन्ना का जिन्होंने उसे गोद लेकर अपने खर्च पर क्रिकेट में तराशकर बुलंदियों पर पहुंचाने को हर कदम पर उनका साथ दिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:58 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:10 AM (IST)
सिमरन की 'स्विंग' पर पाबंदियां 'क्लीन बोल्ड'
सिमरन की 'स्विंग' पर पाबंदियां 'क्लीन बोल्ड'

जहीर हसन, बागपत, जेएनएन:

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हजार बर्क गिरें, चाहे लाख आंधियां उठें।

वो फूल खिलके रहेंगे, जो खिलने वाले हैं।

साहिर लुधियानवी का यह शेर महिला क्रिकेटर सिमरन चौधरी के हौसले की नुमाइंदगी करता है। गांव असारा में उस वक्त क्रिकेट का यह ख्वाब पला था, जब समाज के कथित ठेकेदारों ने लड़कियों के घर से निकलने, जींस पहनने, मोबाइल रखने पर पाबंदी लगाई थी। इससे बेपरवाह सिमरन ने लक्ष्य को सामने रख अभ्यास जारी रखा। हौसले की गेंदबाजी से पाबंदियों की गिल्ली तो उड़ी ही, तालिबानी सोच भी 'क्लीन बोल्ड' हो गई। हरियाणा की महिला टीम में शामिल सिमरन का यह प्रयास यकीनन काबिल-ए-तारीफ है।

वर्ष 2012 में यह तालिबानी फरमान जारी होने के बाद आसारा गांव सुर्खियों में आया था। ऐसे में गांव की 15 वर्षीय क्रिकेटर सिमरन चौधरी को अपना ख्वाब दरकता सा जरूर नजर आया लेकिन हौसला नहीं खोया। वह रोजाना प्रैक्टिस करने 40 किमी दूर बागपत आने लगीं। एक भाई और सात बहनों में सबसे छोटी सिमरन के पिता जमील ने गरीबी के चलते बिटिया को घर बैठा लिया।

वह कई दिन प्रैक्टिस को नहीं आई तो ग्राम सरूरपुर कलां निवासी क्रिकेट कोच डा. मुन्ना उनके पिता जमील से मिले। उन्होंने सिमरन को अपने परिवार में रखकर तराशना शुरू किया। मेहनत रंग लाई और वर्ष 2014 में सिमरन हरियाणा की अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम में बतौर गेंदबाज शामिल हो गईं। वह तेज गेंदबाज हैं।

बढ़ते गए कदम

2014-15 में वह हरियाणा की तरफ से जम्मू में खेलीं। 2015-16 में मुंबई के खिलाफ 10 ओवर में नौ रन देकर पांच विकेट झटके। अब वह अहमदाबाद में महिला अंडर-23 क्रिकेट मैच में हाथ आजमा रहीं है। वहां गुरुवार को उनका अंतिम मैच है।

तेज गेंदबाज हैं सिमरन

सिमरन की मां बशीरन बेटी की उपलब्धि पर गदगद हैं। कहती हैं, कोच डा. मुन्ना के लिए दिल से दुआ निकलती हैं। 23 वर्षीय सिमरन कक्षा 11 में सोनीपत में पढ़ती हैं। राष्ट्रीय टीम में धूम मचाने का सपना

कोच डा. मुन्ना कहते हैं कि सिमरन का लक्ष्य राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम में पहुंचने का है। मुन्ना ने कहा कि यूपी में प्रोत्साहन नहीं मिलने के कारण वह हरियाणा से खेलने लगीं।


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