इन्हें हुई कांट्रैक्ट फार्मिंग से लाखों की कमाई
बेशक कृषि कानून को लेकर कुछ किसान विरोध कर रहे हों लेकिन तिलवाड़ा के किसान इसे फायदा का सौदा बता रहे हैं।
बागपत, जेएनएन। बेशक कृषि कानून को लेकर कुछ किसान विरोध कर रहे हों, लेकिन तिलवाड़ा गांव के प्रगतिशील किसान ओंकार सिंह कांट्रैक्ट फार्मिंग के कट्टर हिमायती हैं। हिमायती हो भी क्यों नहीं, क्योंकि कांट्रैक्ट फार्मिंग की बदौलत दूसरे किसानों के मुकाबले उन्हें प्रति कुंतल धान में एक हजार रुपये और मूंग में चार हजार रुपये दाम मिला है।
65 वर्षीय ओंकार सिंह सात एकड़ पर गेहूं, धान व दलहन की खेती करते हैं। कांट्रैक्ट करने पर एक कंपनी ने उन्नत किस्म की शिखा मूंग का बीज देकर एक एकड़ में बुआई कराई, जिसमें आठ कुंतल मूंग उत्पादन हुआ। इसे कांट्रैक्ट करने वाली कंपनी ने 11 हजार रुपये कुंतल के दाम पर खरीदा। वहीं, मंडियों में 7000 से 7200 रुपये कुंतल दाम था। यानी चार हजार रुपये प्रति कुंतल ज्यादा दाम मिला।
वहीं, नरेला दिल्ली के एक चावल मिल ने उन्हें पूसा बासमती-1 तथा पीबी-1121 किस्म का धान का बीज देकर पांच एकड़ में धान की खेती कराई। कुल 125 कुंतल धान उत्पादन हुआ। इसमें से 3200 रुपये कुंतल की दर से 95 कुंतल धान चावल मिल को बेचा। वहीं, मंडियों में 2200 रुपये दाम था। यानी प्रति कुंतल एक हजार रुपये ज्यादा दाम मिला।
कांट्रैक्ट फार्मिंग का अनुभव साझा कर ओंकार सिंह ने बताया कि तीन साल पहले देश की नामी कंपनी ने बीज और खेती की तकनीक उपलब्ध कराकर डेढ़ एकड़ भूमि पर खरबूजा व तरबूज की खेती उनसे कराई थी। कंपनी ने खरबूजा 18 रुपये तथा तरबूज 12 रुपये प्रति किलों की दर से खरीदा। कंपनी खेत से उपज की खरीद करती है, जिससे किसानों का मंडियों में उपज ले जाने का खर्च बचता है। समझने के बाद विरोध नहीं करेंगे किसान
-ओंकार सिंह ने नए कृषि कानूनों पर कहा कि हमें भरोसा है कि मोदी जी की सरकार किसानों का बुरा नहीं करेगी। नए कृषि कानून जानने के बाद किसान विरोध करने के बजाय इन कानूनों के पक्ष में खड़े होने में देर नहीं करेंगे। पता नहीं किसानों में क्यों भ्रम है। सरकार किसानों से संवाद कर उनका भ्रम दूर करें। किसान भी कोई ऐसा काम न करें, जिससे जनता को परेशानी होने से खेती-किसानी की छवि को बट्टा लगे। -इन्होंने कहा
-ओंकार सिंह प्रगतिशील किसान हैं। कांट्रैट फार्मिंग के तहत मूंग और धान की खेती कर अच्छा दाम प्राप्त किया है।
-महेश कुमार खोखर, सहायक विकास अधिकारी कृषि।