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बागपत में रालोद और भाजपा के बीच होगा रोमांचक मुकाबला

जासं बागपत सपा-बसपा गठबंधन में रालोद को जगह मिलने से बागपत की सियासत गर्म हो गई है। रालोद

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 09:48 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 09:48 PM (IST)
बागपत में रालोद और भाजपा के बीच होगा रोमांचक मुकाबला
बागपत में रालोद और भाजपा के बीच होगा रोमांचक मुकाबला

जासं, बागपत: सपा-बसपा गठबंधन में रालोद को जगह मिलने से बागपत की सियासत गर्म हो गई है। रालोद कार्यकर्ताओं की खुशी छिपाए नहीं छिप रही वहीं भाजपाई भी और अलर्ट होकर मैदान में ताल ठोकने को तैयार हैं। इस लोकसभा चुनाव में रालोद बागपत में अपनी खोई चौधराहट पाने को बेताब है, तो भाजपा फिर जीत का परचम फहराकर कमल खिलाने की तैयारी में है। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में दोनों दलों में रोमांचक मुकाबला होना तय है।

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देश की आजादी से पहले स्वर्गीय चौधरी चरण ¨सह ने 1937 छपरौली विधानसभा में पहुंचकर बागपत में अपनी सियासी जमीन मजबूत की। चौधरी साहब साल 1967 तक छपरौली से विधायक रहे। बाद में अपनी विरासत का दायरा बागपत लोकसभा क्षेत्र तक बढ़ाया। साल 1977 में लोकसभा चुनाव में सफलता पाकर सांसद बने। 1980 व 1984 के लोकसभा चुनाव में भी जीत का परचम फहराकर साबित कर दिया कि बागपत विरोधियों के लिए अभेद किला है। चौधरी साहब के निधन के बाद उनके पुत्र चौधरी अजित ¨सह दो बार को छोड़कर बागपत से निरंतर सांसद रहे। चौधरी अजित ¨सह साल 1998 में भाजपा के सोमपाल शास्त्री से हारे। दूसरा झटका साल 2014 में भाजपा के डा. सत्यपाल ¨सह ने बागपत में कमल खिलाकर दिया। चौधरी अजित ¨सह ने साल 2014 में लोकसभा का चुनाव कांग्रेस से मिलकर लड़ा था, लेकिन अबकी बार उनकी चाहत सपा-बसपा से मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ना है। इसकी वजह साफ है कि मुस्लिम और दलित वोटर। चंद रोज पूर्व जोरों से चर्चा चली कि रालोद सपा-बसपा के बजाय कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव लड़ेगा। चर्चा जोर पकड़ी तो गुरुवार सुबह रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने ट्वीट कर स्थिति साफ है कि कांग्रेस से नहीं सपा-बसपा से गठबंधन होगा। दोपहर बाद जैसे ही खबर आई सपा-बसपा गठबंधन में रालोद को जगह मिल गई और बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर सीटें मिलेंगी तो रालोदियों के चेहरे चमकने लगे। दरअसल रालोद के लिए यह महज किसी एक सीट पर जीत हार का मुद्दा नहीं बल्कि अपना वजूद बचाने का सवाल है। वहीं भाजपा के लिए रालोद के किले पर कब्जा कायम रखने की चुनौती। भाजपा सांसद डा. सत्यपाल ¨सह हर सूरत में दुबारा इस सीट पर जीत का परचम फहाराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। भाजपा विकास और राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव में सफलता पाने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपाई कहा रहे हैं कि विरोधी तो ठगबंधन बनाने में जुटे हैं, और भाजपा का तो जनता से गठबंधन है।

ऐसा रहा था गत चुनाव

वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा-बसपा की वोट जोड़ने के बाद भी भाजपा आगे है। सपा से गुलाम मोहम्मद को 213609 और बसपा के प्रशांत चौधरी को 141743 वोट मिले यानी दोनों दलों को कुल 355352 वोट मिले, जबकि भाजपा के डा. सत्यपाल ¨सह 4,23,475 वोट प्राप्त कर संसद में पहुंचने में सफल रहे। चौधरी अजित ¨सह 199516 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।


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