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गांव की हर गली नाम महापुरुषों के नाम पर

बागपत: नाम बदलने की सियासत के बीच ब्राह्मण पुट्ठी गांव प्रेरणा का स्त्रोत है। जाति न धर्म..यहां तो स

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 11:39 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 11:39 PM (IST)
गांव की हर गली नाम महापुरुषों के नाम पर
गांव की हर गली नाम महापुरुषों के नाम पर

बागपत: नाम बदलने की सियासत के बीच ब्राह्मण पुट्ठी गांव प्रेरणा का स्त्रोत है। जाति न धर्म..यहां तो सब कुछ महापुरुषों के नाम पर है। गांव का हर मार्ग महापुरुषों का स्मरण कराता है। कोई गली महात्मा गांधी मार्ग है तो कोई बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर और पंडित जवाहर लाल नेहरु मार्ग। गांव की कई गलियां पूर्वजों के नाम से भी जानी जाती हैं। इसका मकसद साफ है कि पीढ़ी दर पीढ़ी गांव के बा¨शदों के दिल-ओ-दिमाग में महापुरुषों और पूर्वजों की याद ताजा रहे। साल 2007 में राष्ट्रपति के हाथों आदर्श गांव का खिताब भी पा चुका है ब्राह्मण पुट्ठी।

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बागपत से आठ किमी दूर है ब्राह्मण पुट्ठी। गांव की आबादी करीब 1500 है। साल 2010 में यहां के बा¨शदों ने पंचायत कर गांव की रास्तों के नाम महापुरुषों और गलियों के नाम वहां रहने वाले लोगों के पूर्वजों के नाम पर रखने का फैसला लिया। फिर ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पास कर ग्रामसभा के फैसले पर अमल कर रास्तों तथा गलियों में महापुरुषों और पूर्वजों के नाम पेंट से मोटे अक्षरों में लिखवाए। जैसे ही गांव में घुसने पर आप किसी का घर पूछेंगे तो वैसे ही लोग बताने लगते हैं कि यह आबेडकर मार्ग है, इस पर सीधे चले जाना। फिर आगे सरदार पटेल चौक आएगा, सामने आपको डा. राजेंद्र प्रसाद मार्ग दिखेगा। डीपीआरओ आलोक शर्मा कहते हैं, ब्राह्मण पुट्ठी गांव काफी प्रगतिशील है। इन महापुरुषों के नाम रास्ते

आपको गांव में महात्मागांधी मार्ग, पंडित जवाहरलाल नेहरु मार्ग, शहीद भगत ¨सह मार्ग, बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर मार्ग, डा. राजेंद्र प्रसाद मार्ग, इंदिरा गांधी मार्ग और राजीव गांधी मार्ग और सरदार बल्लभ भाई पटेल चौक आदि नजर आएंगे। इन पूर्वजों के नाम गलियां

छोटी गलियां भंवर ¨सह लेन, पंडित होराम लेन, बुधराम लेन, खैराती, पं. बिशंबर, चौधरी खजान ¨सह, तेजराम, तिलकराम, जय ¨सह, बनवारी, फतेह ¨सह, खड़ग ¨सह और चेतराम, टीकाराम व नेतूराम आदि के नाम पर हैं। यह खूबियां भी जानिएं

पूर्व प्रधान नीरज पंडित, पीताराम भाठी, कर्मपाल ¨सह और सुदेश बताते हैं कि आपवाद छोड़ दें तो हर परिवार से कोई ना कोई सदस्य सरकारी अथवा प्राइवेट नौकरी करता है। ब्राह्मण और गुर्जरों की बाहुलता है। छह सौ साल पूर्व नरेला दिल्ली के लंबरदार नाम के व्यक्ति ने गांव को बसाया। अपवाद छोड़ दें तो गांव अपराधमुक्त है। वर्तमान प्रधान राजू कहते हैं कि गांव विकास में कसर नहीं रखेंगे।


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