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काठा नाव हादसा : भगवान, किसी को न दिखाना ऐसा दिन

कपिल कुमार, बागपत : जरा फ्लैशबैक में चलते हैं.। 14 सितंबर 2017 की सुबह। करीब छह बजा

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 11:00 PM (IST)
काठा नाव हादसा :  भगवान, किसी को न दिखाना ऐसा दिन
काठा नाव हादसा : भगवान, किसी को न दिखाना ऐसा दिन

कपिल कुमार, बागपत :

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जरा फ्लैशबैक में चलते हैं.। 14 सितंबर 2017 की सुबह। करीब छह बजा होगा। पुरुष तथा महिला मजदूरों से भरी एक नाव यमुना नदी पार करने को तैयार है। यमुना पार कराने वाली उस दिन तड़के की यह शायद आखिरी नाव है। नाव पूरी भर चुकी है, लेकिन काठा से मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है। भरी होने के बावजूद उस मजदूर उस पर बैठने से बाज नहीं आ रहे। नाविक हाथ खड़े कर देता है, लेकिन आज नाव से यमुना पार करने वाले मजदूर आश्वस्त हैं कि कुछ नहीं होगा। आखिर नाविक क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर यमुना पार कराने के लिए चल देता है। थोड़ी दूर जाने के बाद ही नाविक नाव पर संतुलन खो देता है और नाव यमुना में डूबने लगती है। फिर मचती है ऐसी चीख-पुकार, जिसे सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएं।

यह सब कुछ घटित हुए अब एक साल पूरा हो चुका है। वहीं यमुना नदी का काठा स्थित घाट अब सन्नाटे में है। आंखें नम हैं और मजदूर अपनों की याद में गमगीन। कई ने अपनों को याद कर यमुना किनारे पौधे रोपे हैं। लेकिन क्षेत्र में शायद ही कोई इस हादसे को भुला पाए। इसी दिन यमुना में नाव में सफर करते समय डूबने से 19 महिला-पुरुषों की जान गई थी। एक साल बीत जाने के बाद आंखों के सामने आज भी वहीं मंजर दिखाई देता है। इस दिन किसी ने अपनी मां खोई थी, किसी ने पिता तो किसी ने पत्नी। उस समय मिला दर्द वर्षो तक टीस देता रहेगा। एक दिन पूर्व दैनिक जागरण की टीम गांव में पहुंची तो उसे गांव की गलियां सुनसान मिलीं। पीड़ित परिवार के लोग अपने घरों में बैठे दिखे। घटना का जिक्र करते ही उनकी आखों से आंसू छलकने लगे थे।

काम करें या बच्चों की देखरेख

बागपत : समंदर का कहना है कि नाव हादसे में पत्नी रेखा की जान गई थी। पत्नी की मौत के बाद से वह पूरी तरह से टूट गया है। वह बच्चों की देखरेख करे या बाहर जाकर काम करे? इसलिए वह आसपास ही कार्य करने जाता है।

मां की मौत के बाद पढ़ाई

में हो रही दिक्कत

बागपत : युवक कुलदीप का कहना है कि हादसे में उसकी मां मुनेश देवी की भी मौत हुई थी। मां ही कामकाज कर उसे पालती थी। मां के न रहने से अब उसकी पढ़ाई में दिक्कत हो रही है। कुछ ऐसी ही परेशानी गांव में अन्य लोगों ने साझा की।

आर्थिक मदद में भी

किया गया सौतेलापन

बागपत : कुलदीप, समंदर, मुकेश, सुनील, प्रमोद का कहना है कि घटना के समय जनप्रतिनिधियों में बड़े-बड़े वादे किए,लेकिन मायूसी मिली। आर्थिक मदद देने में भी पक्षपात किया गया। उन्होंने अफसरों से अनेक बार शिकायत की,लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

सीओ का गायब वायरलेस सेट

नहीं ढूंढ़ पाई पुलिस

बागपत: चर्चित नाव हादसे में पुलिस की कार्रवाई कितनी तेजी से चल रही है, इसका अंदाजा इससे लग जाता है कि बवाल के दौरान सीओ का गायब वायरलेस सेट भी अब तक पुलिस बरामद नहीं कर पाई। बवालियों पर शिकंजा कसना तो बहुत दूर की बात है।

इनकी गई थी जान

ग्रामीणों के मुताबिक इलियास, रामपाल, मुनेश, तेजपाल, अनिल श्यामवीरी, सुनील, नजीरन, रज्जे, जुबैदा, संतरा, मोनी, रेखा, सविता, रामबीरी, सोहनवीरी,काजल, शमा, मोहसिना।

इन्हें बचाया गया था

ग्रामीणों के मुताबिक सुमन, खातून, फूलमती, मंजू, कमला, शिमला, मीरा, बबली, संजोगिता नीरज व ममता।


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