बलूचियों को भी सुषमा जी के जाने का गम
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से बागपत के बिलोचपुरा गांव के बाशिदें भी गम में डूबे हैं। जैसे उनके निधन की खबर मिली वैसे बिलोचपुरा के बाशिदों को तगड़ा झटका लगा। उन्हें वर्ष 2016 की वह घड़ी याद आ गई जब विदेश मंत्री की हैसियत से सुषमा जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में बलूचियों पर पाकिस्तान सेना की बर्बर कार्रवाई से मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया था।
बागपत,जेएनएन: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से बागपत के बिलोचपुरा गांव के बाशिदे भी गम में डूबे हैं। जैसे उनके निधन की खबर मिली, वैसे बिलोचपुरा के बाशिदों को तगड़ा झटका लगा। उन्हें वर्ष 2016 की वह घड़ी याद आ गई, जब विदेश मंत्री की हैसियत से सुषमा जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में बलूचियों पर पाकिस्तान सेना की बर्बर कार्रवाई से मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया था।
बिलोचपुरा निवासी इंडिया बलूच यूनिटी के सदस्य इरफान कहते हैं कि सुषमा स्वराज जी के उक्त मुद्दा उठाने से पाकिस्तान बौखला गया था। अब उनके निधन से बलूचियों को बड़ी क्षति हु़ई है, जिसकी भरपाई मुश्किल है। इंसानियत के लिए सुषमाजी हमेशा याद रखी जाएंगी। विदेशों में फंसे लोगों को संकट से निकालने में जो काम सुषमा जी ने किया, वह मिसाल बन गया। सुषमा जी ने पीड़ितों की मदद करते वक्त कभी नहीं देखा कि कौन किस संप्रदाय जाति से है, बल्कि इंसानियत का फर्ज निभाया है।
बिलोचपुरा के मुस्ताक और गफूर बोले कि सुषमा जी के निधन की खबर सुन हमें तो यकीन ही नहीं हुआ। टीवी खोलकर देखा तो यकीन आया। सुषमा जी जन-जन की नेता थीं। गांव प्रधान शाहिदा बेगम कहती हैं कि सुषमा जी को टीवी पर देखकर वह उनसे काफी प्रभावित होती थी। वह नेक इंसान थीं। अब भगवान से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे। वहीं बिलोचपुरा के बाशिदों ने शोक सभा आयोजित कर दो मिनट का मौन रखकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की आत्मा की शांति की कामना की। इस दौरान असलम, वकार, कपिल, दिलशाद, रोहित, लियाकत अली, आबाद, धन सिंह समेत अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।