Manipur से लौटीं बागपत की दीपांजलि ने बताई आंखों देखी, बोलीं- उतनी हिंसा नहीं, जितनी फैलाई जा रही अफवाह
Baghpat News दो बच्चों संग जान बचाकर लौटीं संरक्षण अधिकारी दीपांजलि। पति उखरूल में करते हैं नौकरी। बागपत में तैनात हैं दीपांजलि। दो बच्चों को लेकर मार्च में गई थीं मणिपुर। इंटरनेट सेवा बंद होने से हुई परेशानी। फ्लाइट बुकिंग शुरू होने पर छोड़ा राज्य।
बागपत, जागरण टीम, जहीर हसन। मणिपुर में चल रही हिंसा में फंसी संरक्षण अधिकारी दीपांजलि अपने दो बच्चों के साथ सुरक्षित बागपत पहुंचने पर राहत की सांस ली है। उन्होंने कहा कि कुछ मत पूछिए... दहशत में कटी दिन और रात। यूं वहां उतनी हिंसा नहीं है जितनी अफवाह फैली है। महिला कल्याण विभाग बागपत में संरक्षण अधिकारी दीपांजलि के पति नवीन कुमार मणिपुर के जिला उखरूल में केंद्रीय विद्यालय में फिजिक्स के अध्यापक हैं।
बच्चों को लेकर गईं थी दीपांजलि
21 मार्च को दीपांजलि 12 वर्षीय बेटे अवि तथा चार वर्षीय बेटी आन्या को लेकर पहली बार पति के पास उखरूल गईं। वह वापस लौटने की तैयारी में थीं लेकिन वहां हिंसा भड़क गईं। दीपांजलि बताती हैं कि पांच-छह दिन पहले वहां दो जनजातीय समूहों के बीच हिंसा भड़क गई। उखरूल में पहाड़ों पर हिंसा नहीं थी। हिंसा दूसरे स्थानों पर थी लेकिन दहशत में हम भी थे। इंटरनेट सेवा बंद होने से न हमारे पास कोई मैसेज आ रहा था और न हम कोई मैसेज भेज पा रहे थे। फोन कभी मिल जाता तो कभी घंटों प्रयास करने पर भी नहीं मिलता।
कई बार बच्चों को समझाते थे
बेशक जहां हम रह रहे थे वहां हिंसा नहीं थी लेकिन सभी लोग दहशत में थे। कई बार बिटिया कहतीं कि मम्मी! डर लग रहा है लेकिन नवीन बच्चों को समझाते। दीपांजलि ने बताया कि फ्लाइट कैंसिल होने से चिंता और बढ़ गई थी। घर से निकलने और जानकारी लेने का कोई जरिया पास नहीं था। आसपास जो स्थानीय लोग थे उनकी भाषा समझ में नहीं आती थी, लेकिन वे इशारा कर भरोसा देते कि घबराने की जरूरत नहीं है।
सात मई को कराया टिकट बुक
हवाई सेवा बहाल होने पर सात मई का टिकट बुक कराया। उखरूल से रात को ढाई बजे टैक्सी से इंफाल के लिए रवाना हुए और रात में ही हवाई अड्डा पहुंचे। यहां अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा से जान में जान आई। सात मई दोपहर तीन बजे इंफाल से दीपांजलि ने दोनों बच्चों के साथ फ्लाइट में उड़ान भरी।
गजब प्राकृतिक सौंदर्य
दीपांजलि बताती हैं कि उखरूल बेहद खूबसूरत है। प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। वहां आत्मिक और मानसिक शांति का अनुभव होता है। पहाड़ियों और झीलों के बीच यह स्थल स्वर्ग की अनुभूति कराता है। दूर तक फैली पर्वतीय घाटियां देखने का दृश्य शब्दों में बयां नहीं कर सकती। तापमान 18-19 डिग्री सेल्सियस से जयादा नहीं रहता।