Move to Jagran APP

Kabaddi Game: इस शानदार खेल के बूते इस गांव के 170 खिलाड़ी पा चुके हैं सरकारी नौकरी

Kabaddi Game कई नेशनल व इंटरनेशनल कबड्डी खिलाड़ी दे चुके इन दोनों गांव के युवक-युवतियों का जुनूनख्वाब और हकीकत सिर्फ कबड्डी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 10:26 AM (IST)
Kabaddi Game: इस शानदार खेल के बूते इस गांव के 170 खिलाड़ी पा चुके हैं सरकारी नौकरी
Kabaddi Game: इस शानदार खेल के बूते इस गांव के 170 खिलाड़ी पा चुके हैं सरकारी नौकरी

जहीर हसन, बागपत। उत्तर प्रदेश के बागपत का जिक्र किए बिना खेलों की बात अधूरी है। निशानेबाजी और कुश्ती की तरह यहां के खिलाड़ियों ने कबड्डी में भी कामयाबी का परचम लहराया है। जिले के फखरपुर और बसी गांव के युवाओं को तो यह खेल विरासत में मिला है, लिहाजा बेटों के साथ बेटियों के दिन की शुरुआत भी कबड्डी की सीटी सुनकर ही होती है। जज्बे, जुनून और कामयाबी का अंदाजा इसी से लगाइए कि इन दोनों गांव के 170 खिलाड़ी शानदार कबड्डी के दम पर सरकारी नौकरी पा चुके हैं। यहां सात मैदानों पर अभ्यास होता है। कई नेशनल व इंटरनेशनल कबड्डी खिलाड़ी दे चुके इन दोनों गांव के युवक-युवतियों का जुनून, ख्वाब और हकीकत सिर्फ कबड्डी है।

loksabha election banner

एक से बढ़कर एक

फखरपुर गांव में 1950 के आसपास भीम सिंह ने कबड्डी के खेल की शुरुआत की थी। तब से यहां की माटी में एक से बढ़कर एक लाल पैदा हुए। दस वर्ष पूर्व अंतरराष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में गांव के कालूराम को ‘लक्ष्मण अवार्ड’ मिला था। यहां के तेजपाल व सत्यप्रकाश आरपीएफ में कबड्डी कोच हैं। गांव के ही विजय प्रो कबड्डी लीग की बंगलुरु बुल्स टीम में हैं। कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोच फखरपुर निवासी सुनील वशिष्ठ कहते हैं कि शारीरिक ताकत से जुड़े खेलों के लिए बागपत की धरती पहले से ही उर्वर रही है। गांव के लगभग 100 खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। हर समय 100 से ज्यादा बच्चे और युवा गांव में मैदानों में खेल का अभ्यास करते दिखते हैं।

65 साल पहले हुई थी शुरुआत

7000 की आबादी वाले बसी गांव में 90 वर्षीय रघुनाथ सिंह ने लगभग 65 साल पहले कबड्डी शुरू कराई थी। गांव के कंवरसेन राष्ट्रीय स्तर पर, उनके पुत्र जितेंद्र सरगम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। जितेंद्र उत्तर प्रदेश पुलिस में सीओ (क्षेत्राधिकारी) हैं। राष्ट्रीय खिलाड़ी पवन कुमार के मुताबिक, गांव में लगभग 300 खिलाड़ी हैं। पिता-पुत्र सतेंद्र व राहुल राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। सामान्य घर के अजय कश्यप ने भी जूनियर सब कबड्डी प्रतियोगिता में खेलकर पुलिस की नौकरी पाई है।

बेटियां भी बेमिसाल

2018-2019 में हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुई सीबीएसई की ऑल इंडिया कबड्डी चैंपियनशिप में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रही टीम में बसी गांव की काजल, निशु, गुड़िया व दीपाली भी शामिल थीं। आज 30 अन्य बेटियां भी राष्ट्रीय फलक पर नाम रोशन करने के लिए पसीना बहा रही हैं।

कबड्डी ताकत व दिमाग का खेल है। इन गांवों में खिलाड़ियों के लिए मैट की व्यवस्था होनी चाहिए। इन्हें थोड़ी और सुविधा मिल जाए तो यहां के खिलाड़ी चौंकानेवाले परिणाम दे सकते हैं।

- सतेंद्र सिंह, संयुक्त सचिव, उप्र कबड्डी एसोसिएशन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.