जागरण संवाददाता, बदायूं : शहर कोतवाली का क्षेत्र बहुत बड़ा है। यहां सट्टे की जड़ें यूं ही नहीं फैलीं। कई बार शिकायत हुई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। कई बार पुलिस पर मिलीभगत के आरोप भी लगे। लेकिन अधिकारियों की अनदेखी के कारण पुलिस कर्मी कार्रवाई से बचते रहे। यही कारण रहा कि शहर कोतवाली क्षेत्र में सट्टा कारोबार की जड़ इतनी मजबूत हो गई कि कोई उसे उखाड़ ही नहीं सका।
हर बार की तरह इस बार भी जांच की बात कही गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर फिर लीपापोती की तैयारी चल रही है।
शहर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला सोथा, कबूलपुरा, लालपुल, मीराजी, टिकटगंज आदि क्षेत्रों में सट्टे का बड़ा कारोबार है। इन सभी क्षेत्रों में सट्टेबाजों के ठिकाने हैं। हर क्षेत्र का अलग सट्टेबाज है।
पुलिस कार्रवाई के नाम पर सट्टेबाजों के गुर्गों को पकड़ कर इतिश्री कर लेती। कई दिनों से सट्टा को लेकर पुलिस वीडियो प्रसारित हो रहे थे। शिकायत भी हो रही थीं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन दो सितंबर की रात जब एसएसपी डा. बृजेश कुमार सिंह ने कई थानों के प्रभारी, चौकी इंचार्ज और सिपाहियों की बदली की। उसी दिन शाम को शहर कोतवाली पुलिस एक्टिव हो गई थी।
पुलिस ने कई सट्टेबाजों को उठाया और कोतवाली तक लाई थी। लेकिन पूर्व में चिन्हित तीन सट्टेबाजों पर ही प्राथमिकी लिखी और रात में ही अन्य सट्टेबाजों की तरह उनको भी छोड़ दिया था। पूरे मामले में आर्थिक सांठगांठ और लेनदेन की बात सामने आई थी। एक पुलिसकर्मी ने भी दबी जुबान इसे स्वीकार किया था। यहां तक बताया था कि किसे छुड़ाने की जिम्मेदारी किसने ली थी।
सिविल लाइंस थाने में एक सिपाही भी इसमें शामिल था। जागरण में खबर प्रकाशित होने पर एसएसपी ने मामले की जांच एसपी सिटी को सौंप दी। जिसके बाद इस मामले में खुद को घिरते देख संबंधित पुलिस कर्मियों ने अधिकारियों के यहां परिक्रमा शुरू कर दी। एक साहब तो 60 किमी दूर से आकर सलाम कर गए। हालांकि एसएसपी जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं।