समझ लीजिए, सवाल सेहत का है..
पॉलीथिन को चलन में जारी रखने से न केवल पर्यावरण ही प्रदूषित हो रहा है बल्कि सेहत भी बिगाड़ रही है।
बदायूं : पॉलीथिन को चलन में जारी रखने से न केवल पर्यावरण ही प्रदूषित हो रहा है बल्कि सेहत भी बिगाड़ रही है। लगातार पॉलीथिन में रखा खाना या तरल पदार्थ का सेवन करने से कई ऐसी गंभीर बीमारियां इंसान को घेर लेती हैं। इसलिए पॉलीथिन का खात्मा बेहद जरूरी है।
पॉलीथिन पर रोक लगाने का मकसद किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि आबोहवा के साथ ही अगली पीढि़यों को सुरक्षित रखना भी है। जिला अस्पताल के आंकड़ों की मानें तो पॉलीथिन के उपयोग से जनित बीमारियों से ग्रसित ढाई सौ से अधिक मरीज रोजाना पहुंचते हैं। इनमें कुछ का इलाज हो पाता है, जबकि गंभीर मरीजों को संसाधनों के अभाव में हायर सेंटर रेफर करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। एक बीमार, भुगतेगा पूरा परिवार
पॉलीथिन जनित बीमारी से ग्रसित पेसेंट हायर सेंटर रेफर के बाद उनका पूरा परिवार टेंशन में आना लाजिमी है। क्योंकि महंगे अस्पतालों में पैसा तो पानी की तरह बहता ही है उस पर भी तीमारदारों को रुकने से लेकर खाने-पीने की समस्या आ जाती है। कुल मिलाकर बीमार एक सदस्य होता है और भुगतता पूरा परिवार है। बीमारियां बांट रही पॉलीथिन फोटो 16 बीडीएन - 62
जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. मोहित यादव ने बताया कि पॉलीथिन में पैक फूड्स और गर्म पेय पदार्थ लाकर सेवन करने से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ते हैं। क्योंकि इसमें कैडियम पाया जाता है। जिसके लगातार सेवन से हृदय का आकार बढ़ जाता है। मुख्यरूप से पॉलीथिन में क्लोरीन, कार्बन हाइड्रोकोन और सल्फर होता है। ऐसे में गर्म पदार्थ इसके संपर्क में आते ही रसायन छोड़ना शुरू कर देती हैं। इससे कैंसर, मानसिक विकार, तनाव, उत्तेजना, कब्ज, एसीडिटी, अस्थमा, टीबी समेत त्वचारोग होते हैं।