शीतल जल घोटाले के आरोपितों को बचाने की कोशिश
जिले में हुए शीतल जल घोटाले के आरोपितों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
बदायूं : जिले में हुए शीतल जल घोटाले के आरोपितों को बचाने की कोशिश की जा रही है। जांच टीम में वह अभियंता भी शामिल है जिन्होंने उन प्याऊ को क्लीन चिट दी थी। ऐसे में जांच स्पष्ट होने की स्थिति में नहीं मानी जा रही है। हैरत करने की बात यह है कि उस इंजीनियर के तकनीकी मुआयना के बाद कार्यदायी संस्था को भुगतान किया गया था। इसके बाद भी जांच टीम में किसी अन्य विभाग की जगह उसी इंजीनियर को रखा गया है। ऐसे में साफ है कि वह आरोपितों को बचाने के लिए हर हद तक जाएगा। उनका कहना है कि शीतल जल प्याऊ की जांच किसी दूसरी जांच एजेंसी से कराई जाए, ताकि घोटालेबाजों पर कार्रवाई हो सके।
पिछले शासनकाल में यहां जनप्रतिनिधियों ने सबसे ज्यादा पैसा शीतल जल प्याऊ पर ही खर्च किया था। मोटी कमीशन के फेर में यहां शीतल जल के नाम पर बजट खूब खपाया गया। जनप्रतिनिधियों की ओर से यह काम लघु उद्योग निगम मुरादाबाद को दिया गया था। पचास से चालीस फीसद कमीशन पर संस्था ने कार्य किया तो बेहिसाब प्याऊ लगवा दिए गए। मोटी कमीशन देने वाली कार्यदायी संस्था ने जब मानक के अनुरूप सामग्री नहीं लगाई तो यह प्याऊ एक के बाद एक खराब होने लगे। कुछ समय में प्याऊ खराब हुए तो शिकायतों का दौर भी शुरू हो गया, लेकिन सत्ताधारियों के सामने किसी भी शिकायत करने वाले की एक नहीं चली। सूबे में निजाम बदला तो दातागंज विधायक राजीव कुमार सिंह ने शासन को शिकायत भेजते हुए प्याऊ के नाम पर हुए खेल के बारे में बताया। विधायक की शिकायत पर जांच शुरू हुई तो जांच टीम में तकनीकी अभियंता के नाम पर उसी इंजीनियर को शामिल कर लिया गया जिसने ही सभी प्याऊ को क्लीनचिट देकर संस्था को भुगतान कराया था। इस वजह से अगर सलीके से जांच हुई तो वह अभियंता भी फंस जाएगा। खुद को बचाने के लिए वह इस वक्त सभी तरह के खेल खेल रहा है। इससे जांच भी प्रभावित हो रही है। हालांकि जानकारी विधायक को हो गई है और विधायक ने उसके स्थान पर दूसरे विभाग के तकनीकी जानकार को शामिल करने को कहा है। इस संबंध में दातागंज विधायक का कहना है कि जो दोषी है वह निष्पक्ष जांच किसी सूरत में नहीं होने देगा, इसलिए दूसरे विभाग के अभियंता को जांच टीम में शामिल करने को हमने पत्र लिखा है।
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