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बिल्ली मौसी बीमारी से परेशान, आइवीआरआइ में इलाज कराने के लिए बढ़ी तादाद

घरों में सबकी चहेती रहीं बिल्लो अब ज्यादा बीमार होने लगी हैं। बांझपन पेशाब न होने से लेकर कई तरह की बीमारी से वह परेशान हैं। यही वजह है कि इन बीमारियों के इलाज के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में लगातार बिल्लियों की संख्या बढ़ रही है

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 09:27 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 09:27 AM (IST)
बिल्ली मौसी बीमारी से परेशान, आइवीआरआइ में इलाज कराने के लिए बढ़ी तादाद
आइवीआरआइ की क्लिनिक में आसपास जिले से इन्हें बीमारी ठीक कराने के लिए लाया जाता है।

अखिल सक्सेना

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बरेली, जेएनएन।  घरों में सबकी चहेती बन रहीं बिल्लो अब ज्यादा बीमार होने लगी हैं। बांझपन, पेशाब न होने से लेकर कई तरह की बीमारी से वह परेशान हैं। यही वजह है कि इन बीमारियों के इलाज के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में लगातार बिल्लियों की संख्या बढ़ रही है। पांच साल में यह आंकड़ा कई गुना पहुंच गया है। ऐसे में आइवीआरआइ के सर्जरी विभाग ने विचार किया है कि बैचलर ऑफ वेटनरी साइंस (बीवीएससी) के कोर्स में बिल्लियों से जुड़ी बीमारी और उपाय के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ाए जाने के लिए वह सुझाव देंगे। ताकि कोर्स में उसे शामिल किया जा सके। यह सुझाव वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजे जाएंगे।

आइवीआरआइ में रेफरल वेटेरिनरी पॉलीक्लिनिक है। जहां हर साल श्वान, गाय, भैंस, शूकर, भेड़, बकरी से लेकर विभिन्न प्रकार के करीब छह हजार पशु इलाज के लिए आते हैं। सर्जरी विभाग इनका आंकड़ा तैयार करता है। उसमें पता चला है कि इनमें इलाज के लिए बिल्लियां बढ़ रही हैं। आइवीआरआइ की क्लिनिक में रामपुर,मुरादाबाद, लखनऊ सहित आसपास जिले से इन्हें बीमारी ठीक कराने के लिए लाया जाता है।

सिलेबस में सिर्फ एक-दो फीसद कोर्स बिल्ली से जुड़ा

सर्जरी विभाग के हेड एवं क्लिनिक के इंचार्ज डॉ. अमर पाल बताते हैं कि लोगों में बिल्ली पालन में रुझान बढ़ रहा है। अभी हमारे बीवीएससी करिकुलम में भेड़, बकरी, श्वान, शूकर, खरगोश सहित कईपशुओं के बारे में तो पढ़ाया जाता है। लेकिन बिल्ली के बारे में मात्र एक से दो फीसद ही पढ़ाया जाता है जो कि बहुत कम है। जिस तरह बिल्लियों की संख्या बढ़ रही, उससे जरूरत है कि कोर्स में इसके बारे में और ज्यादा जानकारी शामिल की जाए। चूंकि यह कोर्स वेटेरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया हर पांच साल पर रिवाइज्ड करती है, इसलिए उसमें हम सुझाव देंगे।

इस तरह के आते हैं केस

पेशाब की पथरी होना, पेट में दर्द, उल्टी दस्त, पैर में फ्रैक्चर आदि

आइवीआरआइ क्लिनिक के कुछ आंकड़े

सर्जरी में आईं बिल्लियां

2014-15 में : 63

2015-16 : 72

2016-17 : 96

2017-18 : 159

2018-19 : 187

2019-20 में :238


मेडिसिन में आईं बिल्लियां

2014-15 में : 49

2015-16 : 91

2016-17 : 107

2017-18 : 168

2018-19 : 239

2019-20 : 338 


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