अधिकार को बना डाला बेकसूरों को फंसाने का हथियार
दुष्कर्म, दहेज हत्या, बहलाकर ले जाने के मामले सभ्य समाज में कलंक की तरह हैं।
बदायूं : दुष्कर्म, दहेज हत्या, बहलाकर ले जाने के मामले सभ्य समाज में कलंक की तरह हैं। दोषियों को सजा दिलाने की आड़ में कुछ महिलाओं ने इसे लोगों को फंसाने का हथियार बना डाला। यह हम नहीं कह रहे। जिले के विभिन्न थानों में इस वर्ष दर्ज हुए आरोपों की विवेचना में खुली परतें यही सच्चाई उजागर करती हैं। मुकदमे में ऐसे लोग भी नामजद थे, जिनकी न उपस्थिति मिली, न संलिप्तता, फिर भी अनचाही सजा भुगतनी पड़ी। बेकसूर निकले ऐसे लोगों की सूची अब जिले के सभी थानों में चस्पा की जाएगी। विवेचना में खुलती गई परतें
जिले में एक जनवरी से 30 नवंबर तक दुष्कर्म के 49 मुकदमे दर्ज हुए हैं। जबकि दहेज उत्पीड़न के 41 और बहलाकर ले जाने के 261 मामले दर्ज किए गए थे। विवेचना हुई। आरोपों की परतें खुलीं तो वादी पक्ष की ही मनगढंत कहानी उजागर हुई। दुष्कर्म के मामलों में ऐसे 55 लोगों को क्लीनचिट मिली, जिन्हें नामजद किया गया था। अगवा करने के 261 मुकदमों में 179 नामजद लोग जांच में बेदाग निकले। दहेज के मुकदमों में 197 लोगों की नामजदगी झूठी मिली है। कुछ मामलों में तो सात दिन बाद ही नामजदगी झूठी साबित हो गई। इन्फो के लिए
आंकड़ों में. (2018 में दर्ज मुकदमे)
दुष्कर्म के मुकदमे : 49
दहेज उत्पीड़न के केस : 41
बहलाकर ले जाने के मामले : 261 महिलाएं ही बन रहीं बैरी
विवेचना में एक और तथ्य उजागर हुआ। महिलाएं ही महिलाओं की बैरी बन रही हैं। नाली, खड़ंजे, जमीन के विवाद में भी विपक्षी के पूरे परिवार को जेल भिजवाने की मंशा में मां, पत्नी, बहन तक को नामजद कराया गया था।
वर्जन ::
महिला अपराध से जुड़ा मुकदमा तहरीर के आधार पर दर्ज होता है। विवेचना में सुनिश्चित करते हैं कि कोई बेकसूर न फंसे, न जेल जाए। ताकि, कानून का दुरुपयोग न हो सके। ऐसे जघन्य मामलों में झूठी नामजदगी की सूची अलग से हर थाने में चस्पा कराई जाएगी।
- अशोक कुमार, एसएसपी