Move to Jagran APP

फिरौती की चिट्ठी लेकर पहुंचता था परिवार, पुलिस देती थी फर्जी करार

बम्पी एंड ग्रुप अवनीश गुप्ता से फिरौती वसूलने पर अड़े थे। दो चिट्ठियां भी भेजी गईं इनमें एक में तीन लाख तो दूसरी में 15 लाख की मांग की गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 12:20 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:09 AM (IST)
फिरौती की चिट्ठी लेकर पहुंचता था परिवार, पुलिस देती थी फर्जी करार
फिरौती की चिट्ठी लेकर पहुंचता था परिवार, पुलिस देती थी फर्जी करार

जागरण संवाददाता, बदायूं : विवेक की हत्या के बाद शव को जमीन में दबाया जा चुका था। इसके बाद बाद बम्पी एंड ग्रुप अवनीश गुप्ता से फिरौती वसूलने पर अड़े थे। दो चिट्ठियां भी भेजी गईं, इनमें एक में तीन लाख तो दूसरी में 15 लाख की मांग की गई। परिजन यह चिट्ठी लेकर पुलिस के पास पहुंचते तो पुलिस उसे झूठ करार देते हुए परिजनों को टरका देती थी। पूरे मामले में शुरूआत से ही गंभीरता बरतने की जगह पुलिस बम्पी की पैरोकारी करती रही। शासन सत्ता कोई भी हो लेकिन बदायूं में अपहरण और फिरौती का धंधा थम नहीं रहा है। 2010 में कल्याणनगर इलाके के प्रशांत नाम के युवक का अपहरण कर हत्या के बाद कपड़े दिखाकर अपहर्ता परिजनों से फिरौती मांग रहे थे। इस मामले में शातिर दीपक सिघल के गुर्गे हरीश पहाड़िया का नाम इसमें सामने आया। 2013 में बरेली के टीटीई के बच्चे को अगवा करके यहां के शातिर गिरोह ने फिरौती मांगी। मध्यस्थों की आड़ में अपहरण फिरौती के खेल के बाद ही उसे छुड़ाया जा सका। अब ताजा तरीन मामला बिसौली के निजामुद्दीनपुर शाह गांव में सामने आया है, जिसमें युवक की लाश जमीन में दबाने के बाद भी फिरौती वसूलने की कोशिश की जाती रही। इधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह स्पष्ट नहीं हुई है। डॉक्टर ने फोरेंसिक लैब भेजने के लिए अस्थियां प्रिजर्व कर ली हैं। इतना जरूर है कि मौत कम से कम चार महीने पहले होने की बात कही गई है।

loksabha election banner

अपनाया पुराना तरीका

अपहर्ताओं ने विवेक की रिहाई के बदले फिरौती मांगने के लिए परिजनों को कोई फोन कॉल या एसएमएस नहीं किया। बल्कि चिट्ठी भेजने का पुराना और शातिराना तरीका ही अपनाया। पहली चिट्ठी में तीन मोबाइल नंबर भी लिखे थे। कुछ दिन मामला और ठंडा पड़ने पर अक्टूबर में फिर चिट्ठी भेजी। परिजन बताए गए स्थान पर फिरौती की रकम लेकर भी पहुंचे लेकिन वहां अपहर्ता नहीं पहुंचे।

पुलिसिया सितम की कहानी, परिजनों की जुबानी ::

पुलिस ने अगर बम्पी से सख्ती से पूछताछ की होती तो घटना बहुत पहले खुल जाती। जिसने भी इस कांड को अंजाम दिया है, उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाकर ही शांति मिलेगी।

- अवनीश गुप्ता, पिता साथ साथ खेलते थे। उसकी हर जिद मैने पूरी की। मेरे भाई से किसकी क्या दुश्मनी थी, जो उसे मार डाला। भगवान उन लोगों को कभी माफ नहीं करेगा। - - अमन, बड़ा भाई दोनों बेटों की कुशलता के लिए व्रत रही। पूजा की। प्रभु से मिन्नतें मांगी। लेकिन आज हत्यारों ने मेरे लाल को छीन लिया। उन्हें सख्त सजा मिलना चाहिए। भला रात में ही पुलिस को कैसे पता लग गया कि लाश कहां दबी है।

- जंयती देवी, मां पुलिस का पक्ष ::

तहरीर अभी मिली नहीं है। हत्यारोपियों को शीघ्र पकड़ लिया जाएगा। पुलिस ने अपनी कार्यवाही में कोई निष्क्रियता नहीं की। पुलिस पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।

- पंकज लवानिया, कोतवाल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.