आध्यात्मिक ऊर्जा का संग्रह एक तू ही
अध्यात्म से दूर रहकर इंसान अधूरा ही रह जाता है। धर्म-मजहब कोई भी हो सभी परमात्मा की शरण में रहकर
फोटो 20 बीडीएन 11 - जाति-धर्म से ऊपर उठकर किया पुस्तक का संयोजन
- साहित्यकार अशोक खुराना की यह है पांचवी पुस्तक जागरण संवाददाता, बदायूं : अध्यात्म से दूर रहकर इंसान अधूरा ही रह जाता है। धर्म-मजहब कोई भी हो, सभी परमात्मा की शरण में रहकर सुख-समृद्धि और कल्याण का मार्ग बताते हैं। विज्ञान भले ही बहुत आगे निकल चुका है, लेकिन अब भी बड़े से बड़े वैज्ञानिक की भी ईश्वर में आस्था रहती है। इन्हीं भावों से प्रेरित होकर साहित्यकार अशोक खुराना ने एक तू ही पुस्तक का संपादन किया है। देश के नामचीन कवियों और शायरों की रचनाओं के इस संकलन को आध्यात्मिक ऊर्जा का संग्रह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मूल रूप से टेंट व्यवसाय से जुड़े अशोक खुराना का साहित्य प्रेम ही है कि उन्होंने अब तक पांच पुस्तकों का संपादन किया है। जिले के प्रख्यात गीतकार रहे डॉ.उर्मिलेश शंखधार के साथ वर्षों वक्त गुजरा। साहित्य में रूचि होने से इन्होंने उसे एक नई विधा में स्वरूप देना शुरू किया। शुरूआत अपने व्यवसाय से जुड़े शामियाना पुस्तक से की। लोगों का प्रोत्साहन मिला। शामियाना भाग दो व तीन भी निकाला। फिर आंसू पुस्तक का संपादन किया और अब एक तू ही पुस्तक समाज को दिशा दिखाने के लिए प्रकाशित कराया है। हम्दिया काव्य संकलन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समर्पित किया है। इन्होंने सतपुरुष बाबा फुलसंदे वाले, रेहाना आतिफ हैदराबादी, रफीक इशरत ग्वालियरी, डॉ.अशोक कुमार गोयल मुख्लिस, डॉ.अजीज खैराबादी, हरिगोविद दयाल नस्तर, ओपी अग्रवाल सिराज देहलवी, राहत इंदौरी सरीखे रचनाकारों की रचनाओं को शामिल किया है। संस्कार भारती के प्रांतीय संरक्षक रूप किशोर गुप्ता ने इस पुस्तक को आध्यात्मिक ऊर्जा की कृति बताया है। हरिद्वार के पं.ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ने इस पुस्तक को जीवन जीने का टानिक तक कहा है। आखिर में संकलन एक तू ही के संपादक अशोक खुराना की चंद लाइनें-
हम्द लिखूं मैं इतना मुझ में इल्म कहां। जो लिखता हूं, है लिखवाने वाला तू।
मुझ से किताब ए हम्द मुरत्तब नामुमिकन, काम यह मुझसे, है करवाने वाला तू।