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सूरजकुंड में बहेगी पर्यावरण की बहार, बारिश का इंतजार

दातागंज रोड स्थित सूरजकुंड का सुंदरीकरण तेजी से हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 11:40 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 11:40 PM (IST)
सूरजकुंड में बहेगी पर्यावरण की बहार, बारिश का इंतजार
सूरजकुंड में बहेगी पर्यावरण की बहार, बारिश का इंतजार

जागरण संवाददाता, बदायूं : शहर से दातागंज रोड पर तीन किलोमीटर दूर स्थित गुरुकुल महाविद्यालय के पास स्थित सूरजकुंड तालाब की तस्वीर अब बदल चुकी है। सुंदरीकरण के तहत यहां सीढि़यों की मरम्मत के साथ ही आसपास बैठने के लिए टीनशेड भी बनवाए गए हैं। वहीं तालाब की खुदाई कराकर उसमें जल संचयन की योजना को अमलीजामा भी पहनाया जा चुका है। बारिश दौरान एक बार फिर इस तालाब में कलकल शुरू हो जाएगी।

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सूरजकुंड के जीर्णोद्धार और उसे पर्यटन स्थल बनाने की मांग पर साल 2016 में राज्य सभा सदस्य आलोक तिवारी ने अपनी निधि से जिले को 45 लाख रुपये का बजट दिया था। इसमें 22.10 लाख रुपये सूरजकुंड को विकसित करने में लगाए गए थे। प्रशासनिक अमले ने कमर कसी और समय-समय पर वहां के निर्माण कार्यो का जायजा लिया। नतीजतन मौजूदा वक्त में यहां की तस्वीर बदल चुकी है। पक्की सीढि़यां बनकर तैयार हैं। तालाब के आसपास फुलवारी भी लगा दी गई है। यहां घूमने आने वाले लोगों को बैठने के लिए बेंच और शेड भी बना दिए गए हैं। खाली वक्त में लोग तनाव दूर करने के लिए यहां पहुंचने लगे हैं। बारिश में पानी से लबालब होगा तालाब

मानसून आ चुका है और जिले में दो बार हल्की बारिश हो चुकी है। आने वाले दिनों में झमाझम बारिश के संकेत लगातार मिल रहे हैं। इस बारिश से यह तालाब लबालब भर जाएगा। इससे जहां पशु पक्षियों की प्यास बुझेगी, वहीं आसपास की हरियाली को भी पानी मिलेगा। तब इसकी सुंदरता देखते बनेगी। तालाब का इतिहास

सूरजकुंड का इतिहास भी सदियों पुराना है। इस कुंड के बराबर में सती होने वाली महिलाओं की कुटिया आज भी मौजूद हैं। अपने पति की मौत के बाद सती होने से पहले महिलाएं इसी कुंड में स्नान करती थीं। साल में दो बार यहां भारी मेला भी लगता था। उस वक्त मेले में देश भर के विभिन्न राज्यों से लोग आते थे। माघ पूर्णिमा पर यहां विशाल यज्ञ होता था। इसके अवशेष आज भी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। अनदेखी के चलते इस कुंड का अस्तित्व भी खतरे में पहुंच गयास था।

अब तालाब में पानी भरने की जरूरत फोटो - 5 बीडीएन - 51

तालाब तो विकसित हो चुका है, अब जरूरत केवल इतनी है कि इसमें पानी भर जाए। जिला प्रशासन ने इस तालाब को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कराया है, लेकिन अब देखभाल नहीं की जा रही है।

- दिपांशु शर्मा फोटो - 5 बीडीएन - 52

अगर प्रशासन को चाहिए कि तालाब और सुंदरता इसी तरह बनी रही तो यहां देखरेख के लिए चौकीदारों की तैनाती की जाए। ताकि अराजक तत्व भी जमा न हों और यहां की सुंदरता को कोई बिगाड़ न सके।

- डॉ. सचिन गुप्ता फोटो - 5 बीडीएन - 53

महज एक तालाब से काम नहीं चलेगा। जमीन में पानी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि जिलेभर में तालाब बनाकर उनका इसी तरह सुंदरीकरण किया जाए। रकम तो खर्च होगी लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

- हिमांशु राठौर फोटो - 5 बीडीएन - 54

तालाबों के किनारे बेरीकेडिग भी जरूरी है। ताकि छोटे बच्चे तालाबों में गिरने का खतरा कम से कम रहे। ग्रामीणों को भी चाहिए कि तालाब के आसपास का इलाका स्वच्छ रखें और उसमें गंदा पानी कहीं से न आने दें।

- रोहिताश शर्मा


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