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मृदा परीक्षण ::: मिट्टी की जांच कराई तो फसल की हुई ज्यादा पैदावार

जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान खेती की भूमि पर मनमर्जी से यूरिया डालते हैं। जिससे उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है और पैदावार में गिरावट होती है। ज

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 12:22 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 12:22 AM (IST)
मृदा परीक्षण ::: मिट्टी की जांच कराई तो फसल की हुई ज्यादा पैदावार
मृदा परीक्षण ::: मिट्टी की जांच कराई तो फसल की हुई ज्यादा पैदावार

जागरण संवाददाता, बदायूं :जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान खेती की भूमि पर मनमर्जी से यूरिया डालते हैं। जिससे उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है और पैदावार में गिरावट होती है। जबकि खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने से भूमि के पोषक तत्वों की आसानी से पहचान हो सकती है। कितनी खाद की आवश्यकता है यह पता लगाया जा सकता है। जो किसान इस दिशा में जागरूक है, वह मृदा परीक्षण कराकर बेहतर उपज पा रहे हैं। वहीं, कुछ किसान ऐसे भी है जिन्होंने कृषि विभाग को मिट्टी का नमूना दिया लेकिन रिपोर्ट न आने की वजह से ऐसे ही खेती करा रहे हैं। करीब छह महीने पहले मिट्टी की जांच के लिए नमूना कृषि विभाग को दिया। रिपोर्ट लेने के लिए अब तक चक्कर लगा रहे हैं। मजबूरन अब बिना मिट्टी की जांच कराए खेती कर रहे हैं।

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- होतम सिंह, गांव मोंगर

एक बार मिट्टी की जांच कराई और पोषक तत्वों की कमी पूरी की। जिसके बाद धान की पौध लगाई। परिणाम बेहद सकारात्मक आए। अच्छी फसल हुई। अब चावल का दाना नहीं टूटता।

- रूपेंद्र सिंह, गांव भरकुईयां

रिश्तेदार के कहने पर खेत की मिट्टी की जांच कराई। रिपोर्ट के आधार पर खेत में देशी खाद डाली। जिसके बाद से गन्ने की उपज बढ़ गई और खर्च भी पहले से कम हो गया है।

- निखिल पटेल, गांव कुरऊ

मिट्टी का नमूना तो कृषि विभाग को दिया जाता है लेकिन रिपोर्ट नहीं आती। अगर कृषि विभाग जिम्मेदारी ले कि रिपोर्ट समय पर दे देंगे तो नमूना लेकर जाएंगे।

- सर्वेश पटेल दो बार खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया। रिपोर्ट के अनुसार जिप्सन आदि डाला। पैदावार में सुधार हुआ है। आलू का उत्पादन दोगुना बढ़ गया। मिट्टी परीक्षण हर किसान को कराना चाहिए।

- नंदन शर्मा, गांव पुरूआखेड़ा

गन्ना बोने से पहले मृदा परीक्षण कराया। कुछ पोषक तत्व कम पाए गए। गोबर का खाद इस कमी को दूर करने में सबसे ज्यादा लाभप्रद रहा। गन्ना काफी बड़ा हुआ और अंकुरण भी ज्यादा हुआ।

- सुरेश मिश्र, गांव कोट।


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