आठ जनवरी को शाहबुद्दीन को मारी थी गोली, तब लगा दी एफआर
मुजरिया थाना क्षेत्र में हुई शाहबुद्दीन की हत्या की जांच में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है।
सहसवान : मुजरिया थाना क्षेत्र में हुई शाहबुद्दीन की हत्या की जांच में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है। आठ जनवरी को भी शाहबुद्दीन पर जानलेवा हमला हुआ था। उन्हें हत्याकांड में नामजद आरोपित महेश ने गोली मारी थी। तब महेश समेत अन्य पर जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन पुलिस ने नामजदगी को झूठा मानते हुए प्रकरण में एफआर लगा दी थी। इस वजह से पीड़ित परिवार ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि यदि पूर्व में आरोपितों पर कार्रवाई होती तो शायद शाहबुद्दीन की हत्या न होती।
पिछले दिनों शाहबुद्दीन कोतवाली सहसवान क्षेत्र के गांव जरीफपुर गढि़या में किराए के घर में परिवार के साथ रहे थे। बीती आठ जनवरी को शाहबुद्दीन घर में सो रहे थे, तभी उन्हें गोली मारी गई थी। तब भी परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने महेश के खिलाफ जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। शाहबुद्दीन का बरेली के निजी अस्पताल में इलाज भी हुआ था। इधर, पिछले दिनों पुलिस ने इस मामले में एफआर लगा दी थी।
चूंकि, मंगलवार की रात हत्या के बाद परिवार वाले सहसवान पुलिस पर ही एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि पुलिस अगर तभी महेश की गिरफ्तारी कर लेती तो यह नौबत न आती। यह भी बताया कि आरोपित पक्ष घटना के बाद से ही फैसले का दबाव भी बना रहा था। फैसला न करने पर जान से मारने की धमकी मिल रही थी। पहले गला रेता, फिर चाकू से गोदा
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शाहबुद्दीन की हत्या भीभत्स तरीके से की गई। पहले उनका गला रेता गया। उसके बाद चाकू से ताबड़तोड़ प्रहार किए गए थे। शरीर पर 14 जख्म मिले हैं। वर्जन
- उस वक्त मुकदमा लिखा गया था लेकिन घटना से जुड़े साक्ष्य नहीं मिले थे। दोनों पक्षों के बीच रंजिश भी ऐसी सामने नहीं आई थी कि गोली मारी जाए। साक्ष्यों के अभाव में एफआर लगाई थी। फैसले का दबाव बनाने की शिकायत पीड़ित पक्ष ने नहीं की थी।
कुशलवीर ¨सह, कोतवाल सहसवान