सिर्फ वोट लेने को उछलता है सीवरेज लाइन का मुद्दा
सीवरेज लाइन इस बार भी चुनाव में मुददा बनी हुई है।
बदायूं : शहर की गंदगी दूर करने के साथ ही जलभराव खत्म करने के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट पर कई बार बहस हो चुकी है। करीब छह साल पहले पालिका प्रशासन के प्रस्ताव पर शासन ने बजट जारी करते हुए पहली किश्त की रकम भी भेज दी थी। मगर, कार्यदायी संस्था ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जमीन न मिलने की बात कहते हुए बजट वापस भेज दिया। इसके बाद यह प्रोजेक्ट मुद्दा ही बनता चला गया। मौजूदा वक्त में कोई जनप्रतिनिधि इसकी सुध नहीं ले रहा है। शहर की सबसे बड़ी समस्या का समाधान न होने से हर बार चुनाव में सीवरेज लाइन मुद्दा बनती है दावे और वादे भी होते हैं, लेकिन इस समस्या को दूर कराने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि पहल नहीं करता।
सीवरेज विहीन शहर बदायूं में करीब 15 साल पहले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की पहल शुरू हुई थी। शहरवासियों की मांग पर उस वक्त जनप्रतिनिधियों ने तमाम वादे किए तो पालिका प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भेजा। पालिका प्रशासन के प्रस्ताव पर शासन ने सीवरेज लाइन को मंजूरी देते हुए पहली किस्त भी जारी कर दी। कार्यदायी संस्था जल निगम को कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए गए। कार्यदायी संस्था ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 32 बीघा जमीन की डिमांड की तो पालिका प्रशासन ने जमीन न होने की बात कहते हुए प्रस्ताव पर अड़ंगा डाल दिया। तब से यह प्रोजेक्ट जमीन के फेर में ही उलझा हुआ है। हैरत की बात तो यह है कि हर चुनाव में सियासी लोग सीवरेज लाइन पड़वाने का वादा करते हैं, लेकिन इसको धरातल पर लाने की कोशिश कोई नहीं कर पा रहा है। हर बार यह चुनावी मुद्दा तो बनता है, लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा कराने पर अमल नहीं किया जाता।