सीज कार कोतवाली में खड़ी, घंटाघर से मांस बरामद
पुलिस भी बडे़-बड़े खेल करने लगी है। पहले कार सीज की फिर उसी कार में मांस बरामद दिखा दिया।
बदायूं : एक कार बिना पंजीकरण समेत अन्य दस्तावेज न रखने के मामले में सीज करके कोतवाली में खड़ी कर ली जाती है। जबकि इसके ढाई घंटे बाद यही कार एक अन्य स्थान पर मिलती है और उसमें से लगभग 110 किलो मांस भी बरामद होता है। सुनने, पढ़ने और सोचने में अजीब जरूर लगेगा लेकिन ऐसा हुआ है और खुद पुलिस ने इस तथ्य को रिकार्ड में स्वीकार भी किया है। वजह चाहें जो भी रही हो लेकिन मामले की शिकायत अल्पसंख्यक आयोग तक की गई है। जबकि भुक्तभोगी अब अदालत की शरण में जाने की भी तैयारी कर रहा है।
मामला सदर कोतवाली से जुड़ा है। बीती 18 जून को पुलिस ने मथुरिया चौराहे पर वाहन चेकिग के दौरान एक एक इंडिगो गाड़ी रोकी थी। गाड़ी चला रहे नजर मियां निवासी मुहल्ला पठानटोला कोतवाली सहसवान से गाड़ी के पंजीकरण, बीमा व प्रदूषण आदि दस्तावेज मांगे तो उसके पास दस्तावेज नहीं थे। नतीजतन पुलिस ने इस गाड़ी को सीज कर दिया। अदालत में जुर्माना भरने के बाद वहां से रिलीज आर्डर के बाद ही गाड़ी वापस दिए जाने की लिखापढ़ी भी की गई। गाड़ी चला रहे नजर मियां से हस्ताक्षर कराकर कार्रवाई से जुड़े प्रपत्र की एक प्रति उसे भी दे दी गई। गाड़ी कोतवाली में भी खड़ी करवा दी गई। फिर घंटाघर पर पहुंची गाड़ी
- इस कार्रवाई के बाद उसी पंजीकरण नंबर और मॉडल की गाड़ी पुलिस को चंद घंटे बाद ही घंटाघर के पास स्थित एक मीट गोदाम पर मिली। इतना ही नहीं गाड़ी में से पुलिस को लगभग 110 किलो गोमांस भी बरामद हुआ। साथ ही एक अन्य कार समेत टेंपो आदि भी पकड़ा गया। कुल मिलाकर उन वाहनों से पुलिस को लगभग 25 क्विटल से अधिक मांस बरामद हुआ। साथ ही नजर मियां फिर वही गाड़ी चलाता हुआ मिला। पुलिस ने छह नामजद समेत एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया और गिरफ्तारी भी दिखाई गई। कुल मिलाकर पुलिस का यह काफी अच्छा गुडवर्क रहा और अफसरों ने सदर कोतवाल ओमकार सिंह की पीठ भी थपथपाई। ऐसे खुली पुलिस की पोल
इस गुडवर्क की कलई उस वक्त खुली, जब भुक्तभोगी ने पिछले दिनों अल्पसंख्यक आयोग से पूरे मामले की शिकायत की। वहीं अदालत की शरण में जाने की तैयारी की। हालांकि इस मामले की शिकायत पूर्व में महकमे के अफसरों से भी की गई लेकिन भुक्तभोगी को कहीं से भी राहत नहीं मिली। वर्जन
फिलहाल ऐसा मामला संज्ञान में नहीं है। यह मेरे कार्यकाल से पहले का प्रकरण रहा होगा। फिर भी इसकी जांच कराई जाएगी। अगर अल्पसंख्यक आयोग की ओर से कोई निर्देश मिलता है तो उसमें भी जांच के बाद कार्रवाई होगी।
- अशोक कुमार त्रिपाठी, एसएसपी