एससी-एसटी का संशोधित कानून वापस लेने की मांग
एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के संबंध में अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के पदाधिकारियों ने बैठक की।
बदायूं : एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के संबंध में अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। कहा कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के संविधान में संशोधन किया था। आरोप लगाया कि सरकार ने मूल भावना के विरुद्ध खारिज कर दिया और धारा जोड़ते हुए बिना किसी जांच के तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान किया है। सरकार ने इस एक्ट में अग्रिम जमानत का भी प्रावधान समाप्त कर दिया। अब इस कानून के तहत यह साबित करना होगा कि शिकायत गलत है, जबकि पहले जिम्मेदारी शिकायतकर्ता की थी कि वह साबित करके कि उसकी शिकायत सही है। एक्ट का दायरा बढ़ाते हुए नई घटना जैसे आर्थिक बहिष्कार, जाति सूचक नामों, गालीगलौज करना, स्त्री को छूना आदि को भी सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने से सवर्ण व अन्य समुदाय जो एससी, एसटी एक्ट के तहत नहीं आते हैं उनका दोहन व शोषण शुरू हो जाएगा। उन्होंने संशोधित कानून को वापस लेने व सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लागू करने की मांग की। केबी गुप्ता, विमल कुमार, जय प्रकाश, प्रमेंद्र कुमार, राकेश, पुष्पेंद्र, पी सक्सेना, संदीप गुप्ता, एकता गुप्ता, शुभ्रा माहेश्वरी, विष्णुदेव चांडक्य, पूनम गुप्ता, मंजू रानी आदि उपस्थित रहे।