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आलू-प्याज और टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट

एक माह में महंगी हुई सब्जियों ने घरों में रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। आलू-प्याज के साथ टमाटर के भाव भी सुर्ख होने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 01:20 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 01:20 AM (IST)
आलू-प्याज और टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट
आलू-प्याज और टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट

जेएनएन, बदायूं : एक माह में महंगी हुई सब्जियों ने घरों में रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। आलू-प्याज के साथ टमाटर के भाव भी सुर्ख होने लगे हैं। आलू को सब्जियों का राजा माना जाता तो प्याज को गरीबों की सब्जी माना गया है। लेकिन, अब महंगे हुए आलू-प्याज ने प्रत्येक घर के बजट को बिगाड़ दिया है। वहीं मंडी समिति के बाहर बिकने वाली फुटकर सब्जी पर विक्रेता 10 से 20 रुपये प्रति किलो के मुनाफे पर काम कर रहे है। इस से भी लोग महंगी सब्जी खरीद रहे हैं। वैश्विक महामारी के बीच लगे लाकडाउन में सब्जी के भाव निचले स्तर पर आ गए थे। मगर अनलाक शुरू होने के बाद दो माह मे सब्जियों में अचानक महंगाई आ गई। एक से डेढ़ माह पहले जो आलू 15 से 20 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे। वह अब थोक में 24 से 28 रुपये प्रति किलो एवं खुदरा में 30 से 35 रुपये प्रति किलो रुपये के भाव बिक रहे हैं। यही स्थिति प्याज की है। दो महीने प्याज गली-मुहल्लों में 10 से 15 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा था। अब 35 से 45 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगा है। टमाटर थोक में 25 से 30 रुपये प्रति किलो और खुदरा में 35 से 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। एक माह पहले टमाटर के भाव 30 रुपये किलो ही थे। वैश्विक महामारी कोरोना काल में कामकाज में भी मंदी है। लोगों का रोजगार खुला तो है मगर खरीददारी न के बराबर है। ऐसे में महंगी सब्जी ने घर का बजट बिगाड़ दिया है। महंगाई के कारण ::

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गर्मी व लू के कारण नए आलू की पैदावार दो महीने देरी से हुई। जिससे आलू महंगे हो गए। वहीं टमाटर व अन्य सब्जियां पैदावार कम होने से महंगी हो गई। प्याज बाहर जाने एवं महाराष्ट्र से नहीं आने से महंगा हुआ है। किसान के धान व बाजरा की फसलों की कटाई में व्यस्त होने से स्थानीय सब्जियां की आवक कम है। सब्जी थोक भाव खुदरा भाव

आलू 24-28 30-35

प्याज 24-30 35-40

टमाटर 25-30 35-40

फूल गोभी 25-28 35-40

पत्ता गोभी 20-25 30-35

लोकी 8-10 12-15

भिड़ी 15-16 20-25

तोराई 16-18 20-25

अरबी 14-16 20-25 वर्जन ::

मंडी में स्थानीय सब्जियों की आवक कम है। इससे सब्जी के भाव में अंतर आया है। दूसरा कारण मंडी के बाहर सब्जी विक्रेता दस से बीस रुपये के मुनाफे सब्जी बेच रहे हैं।

ओमकार सिंह बाना, मंडी सचिव


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