रफ्तार पर रखें नियंत्रण, रहेंगे सलामत
रफ्तार। कहने को छोटा सा शब्द है, लेकिन नियंत्रण में न हो तो गजब हो सकता है।
बदायूं : रफ्तार। कहने को छोटा सा शब्द है, लेकिन नियंत्रण में न हो तो गजब हो सकता है। जीवन पल भर में समाप्त हो सकती है। आज के समय जल्दबाजी ने लोगों को रफ्तार का गुलाम बनाकर रख दिया है। जिसका खामियाजा सड़क दुर्घटना के तौर पर सामने आता है। इससे अच्छा है कि वाहन चलाते समय गति पर नियंत्रण रखें। जिससे किसी को कोई नुकसान न हो। विभाग को भी अभियान चलाकर सख्ती बरतनी चाहिए।
हाइवे खाली देखकर लोग वाहनों की रफ्तार को बढ़ा देते हैं। एक्सीलेरट पूरा खींच देते हैं, लेकिन यही गलती सर्वानाश कर देती है। हाइवे किनारे से पशु के आने पर वाहन अनियंत्रित होता है और फिर नियंत्रित नहीं हो पाता। शहर के भीतर भी लोग जाम होने पर भी जल्द गुजरने की कोशिश करते हैं। थोड़ी सी खाली जगह होने पर वाहनों के एक्सीलेरेटर खींच दिए जाते हैं। सबसे ज्यादा युवा अपनी शान समझकर तेज बाइक दौड़ाते हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि यह उनकी गलती जानलेवा हो सकती है। खुद तो चोटिल होंगे ही साथ ही सामने वाले को भी नुकसान पहुंच सकता है। स्कूल बसों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए परिवहन विभाग ने हर बस में गवर्नर लगाने का निर्देश दिया है। जिससे बस की स्पीड नियंत्रित रहेगी। परिवार के सदस्यों को भी अपने नाबालिग बच्चों को बार-बार समझाना चाहिए कि वाहन को नियमानुसार ही चलाएं। वर्ना हाथ-पैर टूटने से लेकर मौत भी हो सकती है। शहर में भी पुलिस विभाग को अभियान चलाकर ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो सड़क ही नहीं, बल्कि गलियों में वाहन रफ्तार से दौड़ाते हैं।
वर्जन..
एक बार ड्राइ¨वग लाइसेंस जारी होने का मतलब यह नहीं है कि वाहन को स्पीड से चलाने का परमिट मिल गया। लाइसेंस निरस्त भी हो सकता है। जरूरत के हिसाब से ही वाहन की स्पीड खींचनी चाहिए। शहर के भीतर तो वाहन की गति को बहुत धीमा रखना चाहिए, कभी भी कोई भी किसी भी गली से भागकर सड़क पर आ सकता है। जिससे नुकसान होगा। हर किसी को चाहिए कि वाहनों की रफ्तार धीमी हो।
- सुहैल अहमद, एआरटीओ प्रवर्तन