ऐसी लागी लगन... बदायूं की पिंकी बनी 'मीरा', बरात आई व मंत्रोच्चार हुआ; कान्हा के विग्रह संग लिए 7 फेरे
बदायूं के ब्योर कासिमाबाद गांव में पिंकी नाम की एक युवती ने भगवान कृष्ण के विग्रह के साथ अनोखा विवाह रचाया। शिक्षाशास्त्र में परास्नातक पिंकी ने बचपन ...और पढ़ें

बदायूं की पिंकी ने की कान्हा के विग्रह से शादी।
अंकित गुप्ता, जागरण बदायूं। 'मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, सहज मिले अविनासी रे'...! इस बार 'मीरा' ब्योर कासिमाबाद की पिंकी बनीं, जिन्होंने सदैव सहज प्राप्त हो जाने वाले प्रभु (कान्हा) को जीवन सौंप दिया। मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने कान्हा के विग्रह को गोद में लेकर अग्नि के सात फेरे लिए। शनिवार को इस अनोखे विवाह में पूरा गांव उमड़ पड़ा।
कुछ ग्रामीण बराती बनकर नाचते हुए मंडप तक पहुंचे तो कुछ घराती (दुल्हन पक्ष) बनकर स्वागत-सत्कार में खड़े हो गए। शाम को कान्हा से ब्याह रखकर पिंकी जितनी भावुक थीं, उतने ही उनके पिता सुरेश चंद्र शर्मा भी। वे बोले...कान्हा बुलाएंगे तो हम लोग भी वृंदावन में वास करने पहुंच जाएंगे।

बदायूं में शिक्षाशास्त्र से परास्नातक युवती ने विग्रह को गोद में लेकर लिए फेरे
हल्दी, तिलक, बरात, दावत फिर सात फेरे। इस विवाह में सभी रस्में हुईं, परंपराएं निभाई गईं। इसमें समर्पण सुहाग बना और भक्ति जीवनसाथी। पिंकी की गोद में दूल्हा के रूप में कान्हा के विग्रह थे, जिनमें भक्ति-प्रेम का हर क्षण सजीव था। भावुक पिंकी बचपन से अब तक के सफर को ऐसे बताती गईं, मानो हर दृश्य आंखों के सामने हो। बोलीं, 28 वर्ष की हो चुकी हूं। जब से होश संभाला, बार-बार महसूस हुआ कि कान्हा बुला रहे हैं।
कुछ बने बराती तो कुछ घराती, अनोखे विवाह में शामिल हुआ पूरा गांव
पिता के साथ बार-बार वृंदावन, मथुरा जाने लगी। चार महीने पहले बांकेबिहारी के दर्शन के दौरान आंचल फैलाया तो पुजारी ने प्रसाद दिया, जिसमें सोने की अंगूठी भी थी। इसे कान्हा की स्वीकृति मानते हुए स्वीकार लिया कि अब उन्हीं को जीवन समर्पित कर दूंगी। उनकी भक्ति में लीन हो चुकी थी। दूसरी ओर, शिक्षाशास्त्र से परास्नातक की पढ़ाई पूरी हो चुकी इसलिए स्वजन शादी के लिए रिश्ता तलाशने लगे थे।
उन्हें बताया कि कान्हा को ही सबकुछ मान चुकी हूं, इसलिए अब कहीं रिश्ता न देखें। बाद में विचार करने के बाद पिता ने इस पर सहमति दे दी। कुछ समय पहले गंभीर बीमारी होने पर कान्हा के विग्रह को गोद में लेकर वृंदावन और गोवर्धन की परिक्रमा पूरी की। घर लौटकर आई तो मुझे महसूस नहीं हुआ कि पूर्व में कोई बीमारी थी। अब शेष जीवन कान्हा की भक्ति करुंगी।
पिता बोले- बेटी को भी बराबर का हिस्सा
सुरेश चंद्र शर्मा ने कहा कि संपत्ति पर बेटों की तरह पिंकी को भी बराबर का हिस्स देंगे। अब उसका जीवन ठाकुरजी को समर्पित हो चुका है। यदि प्रभु चाहें तो पिंकी को वृंदावन में रहने की व्यवस्था करा देंगे।

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