बारिश के मौसम में बढ़ा बुखार का प्रकोप, एक की मौत, ओपीडी के साथ इमरजेंसी में बुखार-जकड़न के मरीज पहुंच रहे
बारिश के साथ जिले में बुखार का प्रकोप बढ़ने लगा है। शहर से लेकर देहात इलाकों में लोग बुखार की तपिश से कराह उठे हैं। चढ़ते-उतरते मौसम के कारण मरीजों को अब खांसी और जकड़न भी घेरने लगी है।
बदायूं, जेएनएन : बारिश के साथ जिले में बुखार का प्रकोप बढ़ने लगा है। शहर से लेकर देहात इलाकों में लोग बुखार की तपिश से कराह उठे हैं। चढ़ते-उतरते मौसम के कारण मरीजों को अब खांसी और जकड़न भी घेरने लगी है। बुखार के साथ यह बीमारी और लगने के कारण मरीजों की स्थिति और भी खराब होने लगी है। वहीं कुंवरगांव में एक व्यक्ति की बुखार की चपेट में आकर मौत भी हो चुकी है।
जिला अस्पताल में बुखार की मरीजों की संख्या में पिछले दिनों के अपेक्षा अब ज्यादा इजाफा हुआ है। अस्पताल के बेड पहले से ही फुल हो चुके हैं। जबकि अब तो आइवार्ड और रैनबसेरा भी खोलकर बुखार के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। वहीं ओपीडी में स्थिति भी अच्छी नहीं है। यहां रोजाना आठ सौ से साढ़े आठ सौ मरीज फिल्टर क्लीनिक में पहुंचते हैं। जबकि पांच सौ से अधिक मरीज केवल बुखार के ही निकलते हैं। नतीजतन उन्हें फिजिशियन के पास भेजा जाता है। जबकि बाकी के मरीज चर्म रोग, नाम, कान गला या हड्डी रोग से ग्रसित होते हैं और संबंधित डॉक्टरों के पास उन्हें भेजा जाता है। कुल मिलाकर जिले में स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है।
बुखार से ग्रामीण की मौत : सालारपुर ब्लाक के गांव बादल निवासी महावीर (45) को चार दिन पूर्व बुखार आया था। गांव के डॉक्टर से इलाज कराया लेकिन फायदा न मिलने पर परिजनों ने उनका बदायूं में भी एक अस्पताल में इलाज कराया। यहां से उन्हें बरेली रेफर किया गया। वहां के निजी अस्पताल में उनकी शुक्रवार रात मौत हो गई।
इमरजेंसी में भी पहुंच रहे मरीज : ओपीडी में भीड़ ज्यादा होने के कारण तमाम गंभीर मरीज सीधे इमरजेंसी वार्ड में पहुंच रहे हैं। कोई ठंड से कांपता हुआ वहां आता है तो कोई दर्द से कराहता हुआ। अक्सर मरीज इमरजेंसी में पहुंचने के बाद सीधे यही कहते हैं कि तेज बुखार के साथ दर्द ज्यादा है और कोई ऐसी दवा लिख दो ताकि दर्द में राहत मिल सके। लगातार बढ़ती मरीजों की संख्या को लेकर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीबी पुष्कर ने बताया कि अस्पताल में इस वक्त दवाओं की कोई दिक्कत नहीं है। पैरासिटामॉल समेत एंटीबायोटिक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अस्पताल तो ओवरलोड हो चुका है लेकिन कोशिश यही है कि मरीजों को बेहतर सुविधाएं देकर स्वस्थ करने के बाद उन्हें जल्द डिस्चार्ज करें, ताकि नए मरीजों को भी भर्ती किया जा सके।