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कागजों में दौड़ा पत्र, हादसा हो गया

हत्सा गांव में पटाखा कारखाने में हुए हादसे के बाद दो विभागों के अफसरों के बीच तल्खी बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 12:40 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 12:40 AM (IST)
कागजों में दौड़ा पत्र, हादसा हो गया
कागजों में दौड़ा पत्र, हादसा हो गया

बदायूं: हत्सा गांव में पटाखा कारखाने में हुए हादसे के बाद दो विभागों के अफसरों के बीच जुबानी तल्खी बढ़ गई है। हादसे को देखते हुए जहां एसडीएम कह रहे हैं कि इस कारखाने के लाइसेंस को निरस्त करने के लिए उनके यहां से फायर विभाग को लिखित में पत्र भेजा गया था, वहीं, इस मसले पर फायर विभाग के अफसर का कहना है कि उनके यहां कोई पत्र ही नहीं आया। जो भी हो लेकिन दीपावली के दौरान पटाखा कारखाने में हुए हादसे में नौ मौतें होने के बावजूद जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। यही वजह है कि दोबारा हादसा होने की वजह से चार लोगों की जान संकट में पड़ गई है। भीतर लगती आग तो होता बड़ा हादसा

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अगर पटाखे बंद कोठरी में बन रहे होते और वहां आग लगती तो हादसा बड़ा हो जाता। कोठरी में फायर इक्यूपमेंट समेत बालू भी था लेकिन आग लगी तो कुछ काम नहीं आया। खुले में आग लगने से धमाका और धुआं उतना प्रभावी नहीं था, जितना बंद कोठरी में होता। ऐसे में हादसाग्रस्त लोगों को बचाकर निकालना भी मुश्किल हो जाता।

लाइसेंस धारक नन्हे की हो चुकी है मौत

पंद्रह सालों से नन्हें के नाम पटाखा बनाने और बेचने का लाइसेंस था। नन्हें की दो साल पहले मौत हो गई तो उसके बेटे ताहिर ने लाइसेंस बनवा लिया। चूंकि नगर में पटाखे न तो बन सकते थे और न ही उन्हें रखा जा सकता था, इसलिए समीप के गांव हत्सा में बहुत छोटे से कमरे में कारखाना खोल लिया। बनाने के बाद पटाखे दूसरी जगह गोदाम में रख दिए जाते हैं। ताहिर के परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है, इसलिए उसका परिवार ही पटाखे बनाने का काम करता है।

वर्जन ::

पटाखों के होलसेल के लाइसेंस के निरस्तीकरण के लिए अग्निशमन विभाग को पूर्व में ही पत्र भेजा जा चुका है। निरस्त हुआ या नहीं इस बारे में जानकारी नहीं है। मौका मुआयना किया था, इसमें मानक के मुताबिक ही बारूद मिला है।

- मुहम्मद आवेश, एसडीएम बिसौली

वर्जन ::

ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है। अगर निर्देश या रिपोर्ट मिली होती तो लाइसेंस निरस्त कर दिया जाता। क्योंकि उसमें लाइसेंस निरस्त करने के कारण भी गिनाए जाते। हमारे लिए ऐसा कोई पत्र नहीं आया।

- राज गुप्ता, प्रभारी एफएसओ


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