कागजों में ही बुजुर्गो की फिक्र कर रही पुलिस
बदायूं : बुजुर्गो की सुरक्षा की फिक्र। इस वाक्य को पुलिस अधिकारी बैठकों से लेकर मातहत भी दोहराते हैं।
बदायूं : बुजुर्गो की सुरक्षा की फिक्र। इस वाक्य को पुलिस अधिकारी बैठकों से लेकर मातहतों को संबोधित करते वक्त अक्सर दोहराते हैं। मगर यह फिक्र बैठक के शब्दों की तरह हवा में ही और कवायद कागजों पर। इसका आइना दिखाती है पुलिस की ही कार्यशैली। ऐसे बुजुर्गो ब्योरा ही नहीं है, जो अपने घरों में ही अकेले रहे हैं, जबकि सर्दियों में बदमाशों और चोरों का आसान निशाना ऐसे घरों पर ही रहता है। दिल दहला देने वाली वारदातों से भी नहीं सबक
-कुछ वर्ष पहले सदर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला सोथा में वृद्ध शिक्षिका हबीब अजरा के घर में घुसे बदमाशों ने उनकी हत्या कर घर में लूटपाट की थी। वह घर में अकेली रहती थीं। चार दिन बाद दुर्गध आने पर वारदात का पता चला था।
-सदर कोतवाली क्षेत्र के ही मुहल्ला कटरा ब्राह्मपुर में सेवानिवृत्त इंजीनियर विजेंद्र व उनकी पत्नी शन्नो गुप्ता को हत्यारों ने घर में घुसकर मार डाला था। शव तीन दिन तक भीतर ही सड़ते रहे थे। कातिल अब तक नहीं पकड़े जा सके। बनाई थी योजना, कागजों से आगे ही न बढ़ी
इन वारदातों के बाद पुलिस ने शहर में ऐसे बुजुर्गो को चिह्नित करने का खाका तैयार किया था जिनके बेटे-बेटी नौकरी या पढ़ाई के कारण शहर से बाहर रहते हैं। अकेले या दंपती का बीट कांस्टेबल वार पूरा ब्योरा। इसी आधार पर थाने में बुजुर्गो की संख्या, घर का पता सहित ब्योरा तैयार होना था। इनके घरों में काम करने वाले नौकर, ड्राइवर और किरायेदार आदि की कुंडली भी रखनी थी। बुजुर्गो को थाना, थाना प्रभारी का नंबर लिखा कार्ड दिया जाना था, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में सीधे उन्हें सूचना दे सकें। यह सारी कवायद कागजों तक ही सिमटी रह गई। वर्जन ::
लोगों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की गई है। बुजुर्गो की अलग से निगरानी करवा रहे हैं। अभियान के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन उनकी सुरक्षा का प्रबंध किया जा रहा है।
- जितेंद्र श्रीवास्तव, एसपी सिटी