हत्यारोपित को जमानत देने पर उझानी थानाध्यक्ष फंसे
प्रभारी डीसीजी साधना शर्मा हत्याकांड में आरोपित कमलेश शर्मा को जमानत देने पर उझानी कोतवाल फंस गए।
बदायूं : प्रभारी डीसीजी साधना शर्मा हत्याकांड में आरोपित कमलेश शर्मा को उझानी कोतवाल द्वारा जमानत दिए जाने पर सीजेएम अमरजीत ¨सह ने 29 जनवरी को कोतवाल को तलब किया है।
प्रभारी डीजीसी की 23 मई 2016 को कोर्ट से उझानी जाते वक्त रास्ते में हत्या कर दी गई थी। पीसी शर्मा, उनकी पत्नी कमलेश शर्मा समेत श्रवण कुमार, श्रद्धा, मस्ताना, ¨पटू और पीसी के साले आदि के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। विवेचना बरेली क्राइम ब्रांच को चली गई। क्राइम ब्रांच ने आरोपितों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी। इधर, कमलेश शर्मा की गिरफ्तारी व चिकित्सकीय आधार पर उन्हें कोतवाल उझानी ने जमानत दे दी। इस पर वादी साधना शर्मा की बहन विपर्णा गौड़ ने क्राइम ब्रांच के सहयोग से सीजेएम कोर्ट में इसका विरोध किया। कमलेश शर्मा की ओर से प्रार्थना पत्र में अंकित तथ्यों के संबंध में आख्या तलब किए जाने का प्रार्थना पत्र दिया गया। क्राइम ब्रांच बरेली ने कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत किया। कमलेश शर्मा कोर्ट में उपस्थित नहीं हुईं, इसी मध्य थानाध्यक्ष उझानी द्वारा कमलेश को अस्पताल से हिरासत में लेकर जमानत दिए जाने का तथ्य कोर्ट के संज्ञान में आया है। विवेचना समाप्त करके आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है। कोर्ट ने थानाध्यक्ष उझानी द्वारा आश्चर्यजन रूप से अनिश्चित अधिकारिता के साथ कमलेश को गिरफ्तार करने, स्वयं ही प्रसंज्ञान लिए जा चुके मामले में जमानत दिए जाने का तथ्य आश्चर्यजनक माना है। थानाध्यक्ष उझानी के इस कृत्य पर गुणदोष पर कोई भी टिप्पणी किए जाने से पहले स्पष्टीकरण देने के लिए कोर्ट ने उझानी थानाध्यक्ष को तलब किया है। मेडिकल आधार पर देने बात खुलने पर फंस गए
हत्या के मामले में आरोपित कमलेश शर्मा की जमानत अस्पताल से मेडिकल आधार पर देने से उझानी थानाध्यक्ष बुरी तरह फंस गए हैं। चार्जशीट आने व कोर्ट द्वारा प्रसंज्ञान लेने सम्मन जारी होने के बाद पुलिस का कोई रोल नहीं रहता। सब कुछ कोर्ट पर निर्भर होता है। दूसरे विवेचना क्राइम ब्रांच बरेली कर रही है। जमानत इन्होंने कैसे दे दी, यह प्रश्न भी यहां उठता है।
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