आचार संहिता के फेर में फंसा चौकियों का आधुनिकीकरण
आचार संहिता की वजह से रिपोर्टिग चौकियां बनने की श्रेणी में शामिल चौकियां को झटका लगा है।
बदायूं : जिले की पुलिस चौकियों का दर्जा बढ़ाकर रिपोर्टिग पुलिस चौकियां बनाने की योजना को ग्रहण लग चुका है। छह महीने पहले भेजे गए प्रस्ताव पर अभी तक शासन ने नजरंदाज कर रखा है। जबकि अब आचार संहिता भी लग चुकी है। ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में न तो चौकियों का दर्जा बढ़ेगा और न ही उनमें संसाधन खरीदे जा सकेंगे। हालांकि स्थानीय स्तर से जो सूचनाएं मांगी गई थीं। उन्हें भेजा जा चुका है।
जिले में आबादी के बढ़ते अनुपात के मद्देनजर जहां कुछ नई पुलिस चौकियां खोली जाना थीं, वहीं मौजूदा चौकियों को रिपोर्टिंग चौकी का दर्जा भी दिया जाना था। ताकि पीड़ितों की समस्या पुलिस चौकी पर ही निपटाई जा सके, उन्हें थाने या अफसरों के यहां चक्कर न लगाना पड़ें। इसके लिए पुलिस से हर चौकी क्षेत्र की आबादी की सूचना मांगी गई है। जिन थानों में पुलिस चौकियां नहीं हैं। वहां की आबादी का विवरण भी मांगा गया था। इंसेट
क्षेत्रफल के हिसाब से बनना थी चौकियां
22 थानों वाले जिले में क्षेत्रफल के हिसाब से पुलिस चौकियां बनाई जाना थीं। जिन थानों में पर्याप्त चौकियां थीं, उनमें कुछ को रिपोर्टिंग चौकी तो बिना चौकी वाले थानों में नई पुलिस चौकियां बनना थीं। इंसेट ::
यह है मौजूदा स्थिति
सदर कोतवाली में सात पुलिस चौकियां हैं। जबकि सिविल लाइंस में नौ उझानी में चार और अलापुर थाने में तीन पुलिस चौकियां हैं। कादरचौक थाने में दो, दातागंज में दो, बिसौली मं तीन के अलावा फैजगंज में एक पुलिस चौकी है। साथ ही उसहैत व जरीफनगर थानों में भी एक एक पुलिस, चौकी है। बगरैन चौकी रिपोर्टिंग चौकी है। वर्जन ::
जो भी सूचनाएं मांगी गई थीं, वह हेड क्वार्टर को भेजी जा चुकी हैं। आगे की कार्रवाई वहीं से होगी। नई चौकियां बनने से सुरक्षा व्यवस्था और दुरुस्त हो जाती, हालांकि अभी भी पर्याप्त पुलिस चौकियां हैं। फरियादियों की अधिकांश समस्याएं चौकी स्तर से ही निपटाने पर जोर दिया जा रहा है।
- जितेंद्र श्रीवास्तव, एसपी सिटी
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