म्याऊं पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
किशोरी को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में म्याऊं चौकी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
बदायूं : किशोरी को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में म्याऊं चौकी पुलिस की भूमिका कठघरे में है। खाकी के कार्रवाई न करने से सवाल उठ रहे हैं। वजह है कि तीन दिन से पीड़ित पक्ष प्रकरण की शिकायत करने पुलिस चौकी पर जाता था लेकिन हर बार पुलिस उसे किसी न किसी बहाने टरका देती थी। पुलिस ने किशोरी को तो बरामद कर लिया लेकिन न ही उसका मेडिकल कराया और न ही आरोपितों पर कार्रवाई की।
किशोरी के परिजनों ने बताया कि जब उन्हें पता लगा कि मुहम्मद रजा और फरमान उनकी बेटी को ले गए हैं तो अलापुर थाने की म्याऊं चौकी पुलिस को जानकारी दी। चौकी पुलिस ने उसी दिन जानकारी जुटाकर किशोरी को आरोपितों के पास से लाकर परिवार वालों को सौंप दिया। न तो पीड़िता का मेडिकोलीगल कराया और न ही उसके बयान के आधार पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की। इधर, परिवार वाले सुबह-शाम चौकी से लेकर थाने के चक्कर लगाते रहे लेकिन हर उनकी तहरीर लेकर रख ली जाती और जल्द मुकदमा लिखकर आरोपितों पर कार्रवाई का भरोसा देकर टरका दिया जाता। कहीं से राहत न मिलते देख परिजन एसएसपी के पास पहुंचे तो एसएसपी ने मुकदमा कायम कराकर मेडिकोलीगल कराने का निर्देश दिया। पूर्व में हो चुकी दुष्कर्म की घटनाएं
- वजीरगंज में बिहार के नौगचिया इलाके की एक महिला को यहां लाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। पहले महिला ने यह तथ्य बताया जबकि बाद में पुलिस के पचड़े से बचने के लिए मुकर गई।
- दातागंज में प्राथमिक विद्यालय की महिला शिक्षक से छेड़छाड़ और अभद्रता इस हद तक की गई कि उसने स्कूल आना ही छोड़ दिया।
- अगस्त में मूसाझाग इलाके में एक किशोरी को अगवा करके सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। बाद में किशोरी ने खुदकुशी कर ली थी।
- शहर में भी एक महिला ने दो लेखपालों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने उसे खारिज कर दिया है।
- बीते शुक्रवार को ही एक अन्य महिला ने पुलिस को तहरीर देकर एक लेखपाल समेत तहसील के वरिष्ठ अधिकारी पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है।