गांवों में सियासी माहौल गरमाएंगे प्रवासी
पंचायती राज व्यवस्था की सबसे अहम इकाई ग्राम पंचायतों के चुनाव का समय करीब आ चुका है। लॉकडाउन के बीच चुनाव आयोग की गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं। अंदरखाने राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार के चुनाव में प्रवासियों की भूमिका सबसे अहम होगी। इनकी वजह से सियासी पारा गरम रहेगा। मतदाताओं की संख्या बढ़ जाने से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिल सकती है।
जेएनएन, बदायूं : पंचायती राज व्यवस्था की सबसे अहम इकाई ग्राम पंचायतों के चुनाव का समय करीब आ चुका है। लॉकडाउन के बीच चुनाव आयोग की गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं। अंदरखाने राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार के चुनाव में प्रवासियों की भूमिका सबसे अहम होगी। इनकी वजह से सियासी पारा गरम रहेगा। मतदाताओं की संख्या बढ़ जाने से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिल सकती है।
कोरोना महामारी का दौर चल रहा है। वर्षों से बाहर में रह रहे लोग भी गांव लौट रहे हैं। अधिकांश लोग आ भी चुके हैं। दुश्वारियां झेलकर जैसे-तैसे घर पहुंचे लोग जल्दी दिल्ली, मुंबई, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जाने का साहस नहीं जुटा पाएंगे। इसी साल अक्टूबर-नवंबर में ग्राम पंचायत के चुनाव का समय है। चुनाव के समय प्रधानी के दावेदार बाहर से ग्रामीणों को बुलाने का प्रबंध तो करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग नहीं आ पाते हैं। जो लोग बाहर रहने लगते हैं, उनकी गांव की राजनीति में रुचि नहीं रह जाती है। इस बार अधिकांश प्रवासी गांव आ चुके हैं। जो लोग कहीं फंसे हैं, उनके आने का सिलसिला जारी है। मतदाताओं की संख्या अधिक होगी तो प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। प्रधानी के चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या भी बढ़ सकती है। मौजूदा प्रधानों के पास मनरेगा में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराकर अपने खेमे में करने का अच्छा अवसर मिला हुआ है। इस समय मनरेगा से काम कराने में बजट की भी कोई पाबंदी नहीं है। विरोधी पक्ष के लोग भी मौजूदा प्रधानों की कमियां तलाश कर चुनावी मुद्दा बनाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। हालांकि अभी मतदाता सूची पर काम शुरू नहीं हुआ है, इसके बाद आरक्षण की व्यवस्था भी करनी होगी, तब जाकर चुनाव होगा। बहरहाल, लॉकडाउन अभी कब तक चलेगा, चुनाव की गतिविधियां कब तक शुरू होंगी, इस पर सरकार और चुनाव आयोग स्तर से निर्णय लिया जाएगा, लेकिन प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को देखते हुए इस बार पंचायत चुनाव का माहौल गरम रहने के आसार बन रहे हैं।
वर्जन
पंचायत चुनाव तो अक्टूबर-नवंबर में होने चाहिए, लेकिन अभी मतदाता सूची बनाने का भी काम भी शुरू नहीं हुआ है। आरक्षण की प्रक्रिया भी चलेगी। चुनाव आगे बढ़ना चाहिए, अगर समय से तैयारी पूरी किए बिना चुनाव कराया जाता है तो अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
- सोहनपाल साहू, प्रदेश सचिव, ग्राम प्रधान संगठन