मिलकर साथ चलें जीवन में आगें बढ़ें
प्रकृति के विभिन्न अंग जैसे कि नदियां पहाड़ जंगल आदि मिलकर उसको पूर्ण करते हैं
प्रकृति जिसका उद्भव कई चीजों के साथ अस्तित्व में आने से हुआ है। प्रकृति के विभिन्न अंग जैसे कि नदियां, पहाड़, जंगल आदि मिलकर उसको पूर्ण करते हैं और समाज को संदेश देते हैं कि इसी प्रकार सबके सहयोग से एक स्वस्थ एवं सभ्य समाज का भी निर्माण होता है। प्रकृति के अंगों के समान ही
समाज में हर व्यक्ति की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक के बिना दूसरे के अस्तित्व की कल्पना भी अधूरी है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होने के साथ समाज का एक जिम्मेदार नागरिक है। उसको अपनी मंजिल प्राप्त करने व समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलना अनिवार्य होता है तभी वह आकाश की बुंलदियों को छूने में सक्षम हो सकता है। इतिहास में कई महापुरूषों ने दूसरों का सहयोग किया उनको लेकर साथ चले और समाज में मान, सम्मान, यश और प्रतिष्ठा प्राप्त की। महात्मा गांधी के जीवन से भी हम यह शिक्षा प्राप्त करते हैं कि अंग्रेजी शासन से भारत को स्वतंत्र कराने में उनके साथ-साथ भारत के प्रत्येक क्रांतिकारी एवं उनके आदेशों का अनुपालन करने वाले प्रत्येक भारतीय की उसमें बराबर की हिस्सेदारी थीं तभी आज हम स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले रहे हैं। इसके अलावा जीवन के पग-पग पर हमें ऐसे अनेक उदाहरण मिलते है जो हमें दूसरों को साथ लेकर चलने का संदेश देते है जैसा कि क्रिकेट टीम में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टीम के प्रत्येक सदस्य को एक-दूसरे का सहयोग करते हुए खेलना होता है। तभी उनकी टीम की जीत तय होती हैं। ऐसे ही पर्यावरण की बात करें तो हम अपने पर्यावरण के अभिन्न अंग पानी, ईधन आदि का विदोहन तो मिलकर कर रहे हैं कितु वर्तमान में जबकि इनका अस्तित्व खतरे में हैं तो उनके संरक्षण के लिए भी सभी को एकसाथ मिलकर काम करना होगा क्योंकि यदि एक या दो व्यक्ति ही उसके लिए काम करेंगे तो वह संभव नहीं होगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी किसी संस्था में भी विद्यार्थी, शिक्षक, प्रबंधन समिति एवं अन्य शैक्षिक सहयोगी सभी की अलग-अलग एवं महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- चयनिका सारस्वत, निदेशक, मदर ऐथीना स्कूल ----------
सहयोग की भावना से करें कार्य, मिलेगी बुलंदियां
सभी लोग मिलकर जब एक साथ कार्य करते हैं तभी वह शिक्षण संस्था आश्चर्यजनक परिणामों के साथ समाज में अपना स्थान निर्धारित करती है। हम सब मिलकर समाज में जाति, धर्म, संप्रदाय, ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा इन सभी भेदभावों को त्याग कर सबके प्रति समान भाव रखते हुए ही स्वयं के साथ-साथ समाज को भी उन्नति के शिखर पर ले जा सकते है। सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जीवन में जहां तक और जितना हो सके दूसरों की मदद करें। ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने मार्ग पर साथ लेकर चलें। जिससे मार्ग में आने वाली हर बड़ी से बड़ी बाधा पलक झपकते ही हल हो जाएंगी और मंजिल पर पहुंचने का रास्ता आसान होगा। आपके कारण दूसरे लोगों के जीवन में खुशियां आ रही हैं तो वही खुशियां चौगुनी होकर आपके जीवन को भी सुख भर देंगी। अपने लिए किया गया कोई कार्य आपको थोड़ी ही देर की संतुष्टि या सुख प्रदान करता है लेकिन दूसरों के सुख के लिए किए जाने वाले कार्य से आपको जो सुख या खुशी प्राप्त होती है वह दीर्घकाल तक रहती है। दूसरों में आत्मविश्वास के साथ-साथ और लोगों के प्रति सहयोग की भावना के साथ काम करने की क्षमता एवं आत्मबल का विकास होता है और वह समाज के दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। इस प्रकार यह एक अनवरत क्रम बन जाता है। नई पीढ़ी को हमें यही संदेश देना चाहिए कि सबके साथ समानता का व्यवहार करें। हम सभी को जीवन मे इस बात का अनुपालन करना चाहिए कि जब सच्चाई, अच्छाई और प्रगति के मार्ग पर हम सब मिलकर एक साथ एक दूसरे को सहयोग करते हुए एक मार्ग पर चलेंगें तो सब एक साथ आगे बढ़ते हुए अपनी मंजिल को प्राप्त कर जीवन में सफलता अर्जित करेंगें।
- लतिका बत्रा, प्रधानाचार्य एसडीबी पब्लिक स्कूल, बिसौली ---------
चले थे साथ मिलकर, चलेंगे साथ मिलकर
किसी भी देश का विकास उसके नागरिकों की एकता की भावना पर निर्भर करता है। जिस देश के नागरिकों में एक साथ मिलकर चलने की भावना होती है वह देश उतना ही उन्नतिशील एवं विकासित होता है। जिस प्रकार प्राणी के शरीर के सभी अंग मिलकर किसी भी कार्य को करने में सक्षम होते हैं ठीक उसी प्रकार से हम सबका आपसी सहयोग ही किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत देता है। किसी कार्य को कोई अकेला व्यक्ति पूरा करने में असमर्थ होता है। वह तभी अपनी मंजिल, अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। जब सहयोग की भावना से एक-दूसरे के लिए उनका साथ दें। आज हम एक-दूसरे के बिना किसी भी मंजिल तक पहुंचने की कल्पना भी नहीं कर सकता। जैसा कि एक परिवार, एक सदस्य से नहीं हो सकता। उसमें हर रिश्ते व सदस्यों की अहमियत होती है। सब मिलकर ही उस परिवार को पूर्णता प्रदान करते हैं। उसी प्रकार हम सबको मिलकर ही अपने देश को ऊंचाइयों के चरम पर पहुंचा सकते हैं। आज आवश्यकता है कि हम सभी में एक-दूसरे की भावनाओं को समझने और सहयोग की नजर से देखने की। सब एक भाव रखकर आगे बढ़ें। हम उस देश के वासी हैं जहां सबसे उसे खुले आसमान में सांस लेने लायक बनाया। स्वतंत्र विचारधारा दी। फिर एक-दूसरे के बिना आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकते। एक कहावत है संघे शक्ति कलियुगे। यानि जिस युग में हम जीवनयापन कर रहे हैं वहां तो कदम-कदम पर एक-दूसरे को सहयोग की भावना से ओतप्रोत करना है। जिसे हमारा देश विश्व का वह देश बने जो सबके लिए एक मिसाल बन सके। चले थे साथ मिलकर चलेंगे साथ मिलकर। इसी भावना के साथ कार्य करते रहें।
- एनसी पाठक, प्रधानाचार्य ब्लूमिगडेल स्कूल