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बाद में आवेदन करने वालों को पहले दिया सामान, भटक रहे किसान

जागरण संवाददाता बदायूं आंवला रोड स्थित विद्युत भंडार से बाद में आवेदन करने वाले किसानों को पहले सामान आवंटित कर दिया। वहीं पहले आवेदन करने वाले किसान अभी तक भटक रहे हैं। शिकायत पर जांच करने पहुंची एडीएम प्रशासन ऋतु पुनिया को कर्मचारी पूरे अभिलेख तक भी नहीं दिखा सके। उन्होंने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपने की बात कही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 06:01 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:01 PM (IST)
बाद में आवेदन करने वालों को पहले दिया सामान, भटक रहे किसान
बाद में आवेदन करने वालों को पहले दिया सामान, भटक रहे किसान

जागरण संवाददाता, बदायूं : आंवला रोड स्थित विद्युत भंडार से बाद में आवेदन करने वाले किसानों को पहले सामान आवंटित कर दिया। वहीं, पहले आवेदन करने वाले किसान अभी तक भटक रहे हैं। शिकायत पर जांच करने पहुंची एडीएम प्रशासन ऋतु पुनिया को कर्मचारी पूरे अभिलेख तक भी नहीं दिखा सके। उन्होंने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपने की बात कही है।

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बिसौली के गांव गनगोला के नेतसिंह पुत्र नौबत सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खेत पर नलकूप लगवाने को 1.08 लाख रुपये जमा किए थे। फिर जिम्मेदारों को पैसा देते देते अब तक 1.60 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। फिर भी सामान नहीं मिला। किसान हेमवती पत्नी बादाम सिंह ने भी यही शिकायत की। एडीएम प्रशासन ने अभिलेख मांगे, तो कर्मचारी पूरे अभिलेख नहीं दिखा सके। कर्मचारियों ने बताया कि भंडार गृह पर 25 केवीए के 238 ट्रांसफार्मर व 452 किलोमीटर तार मौजूद है। लक्ष्य योजना में 2018-19 में 2737 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें 1327 को सामान दिया है। शेष को दिया जाना है। एडीएम के उपलब्ध सामान को क्यों नहीं दिए जाने पर कर्मचारी चुप्पी साध गए। इनसेट

कर्मचारियों ने रिश्वत के लिए 1400 रुपये

गांव बचे झझरऊ के सुधीश कुमार ने ट्यूबवेल का सामान लेने आने पर 1400 रुपये देने की शिकायत की। बताते हैं कि एडीएम की फटकार पर संबंधित कर्मचारी तुरंत पैसा देने को तैयार हो गया। बाट पर नहीं मिली मुहर लगी

फोटो 04 बीडीएन 06, 07

भंडार गृह पर किसानों को दिए जाने वाले तार की तौल डिजिटल तराजू की जगह मैनुअल से होती मिली। यहां वजन रखकर देखा तो एक से डेढ़ किलोग्राम कम तौल होती मिली। बाट के नीचे मुहर नहीं लगी होने पर बाट-माप विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए। वर्जन..

शिकायत पर जांच की। इसमें अफसरों के कभी कभी आने, मैनुअल तराजू से कम तौल होती मिली। बाट में मुहर भी नहीं थी। किसानों ने रुपये लिए जाने की शिकायत की। कर्मचारी अभिलेख भी नहीं दिखा सके।

- ऋतु पुनिया, एडीएम प्रशासन।


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