जेसीबी गरजी तो थर्रा गए नगला के किसान
आवास विकास परिषद के दूसरे पार्ट में जमीन महंगी होने पर मौजूदा वक्त के रेट मांग र
बदायूं : आवास विकास परिषद के दूसरे पार्ट में जमीन महंगी होने पर मौजूदा वक्त के रेट मांग रहे किसान उस वक्त थर्रा उठे जब जेसीबी लेकर जिला प्रशासन जमीन को खाली कराने पहुंचा। जेसीबी जैसे ही गरजी वैसे ही नगला गांव के किसान दौड़ पड़े। विरोध का क्रम शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गया। भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य, शेखूपुर विधायक धर्मेंद्र शाक्य भी जनता की मांग पर वहां पहुंच गए। दोनों ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वार्ता करते हुए 30 नवंबर तक का समय मुकर्रर किया। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर तक किसान अपनी कागजी कार्रवाई जहां चाहें पूरी करा सकते हैं उसके बाद दोनों पक्षों के बीच वार्ता की जाएगी। आवास विकास परिषद ने ए और बी ब्लॉक का कार्य पूरा होने के साथ-साथ आवास विकास फेस टू का निर्माण कार्य कराने के लिए नगला गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था। जमीन का अधिग्रहण होने के बाद करीब 40 साल पहले उस जमीन को सवा लाख रुपये बीघा के हिसाब से मुआवजा भी दिया था। तब से वह किसान उस जमीन में खेती करते रहे और अब जाकर जब बदायूं को विकसित करने का वक्त आया तो उस जमीन को खाली कर उसमें आवास आवंटित करने का कार्य शुरू किया गया। गुरूवार को एसडीएम सदर पारसनाथ मौर्य वहां पहुंचे तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि मौजूदा वक्त में उनकी जमीन की कीमत काफी है इसलिए वह उस जमीन को किसी भी सूरत में नहीं देंगे। शुक्रवार को एसडीएम सदर पूरी तैयारी के साथ पहुंचे और 11 मजदूरों के अलावा जेसीबी स्टाफ भी वहां लगा दिया। जेसीबी जैसे ही चली वैसे ही गांव वालों ने विरोध शुरू कर दिया।
इंसेट ..
मंडल नहीं जोन भर के आए अधिकारी
शुक्रवार को जब आवास विकास फेस टू के लिए जमीन खाली करानी थी तो मंडल ही नहीं जोन भर के अधिकारी वहां पहुंचे। मुरादाबाद आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता शोभित कुमार पाठक, एई श्याम कुमार गंगवार, बरेली और बदायूं में अधिशासी अभियंता का चार्ज संभाल रहीं नेहा ¨सह आदि अधिकारी वहां पहुंचे।
वर्ष 2004 में ही आवास विकास परिषद के पक्ष में आ चुका था फैसला
आवास विकास कालोनी 47 एकड़ में बसी है। इसको विकसित करने के लिए 1980 में नगला गांव के लोगों की जमीन जो आवास विकास परिषद से सटी हुई है उसको आवास विकास परिषद ने खरीदा था। उस जमीन के कुछ काश्तकारों को पूरा पैसा दे दिया गया जबकि कुछ किसानों का मामूली पैसा आवास विकास परिषद के ऊपर रह गया था। करार होने के बाद किसानों ने जब अदालत में रिट डाली तो उसका फैसला वर्ष 2004 में ही आवास विकास परिषद के पक्ष में आ गया था। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। अब अचानक की गई कार्रवाई से सभी स्तब्ध रह गए।
वर्जन :: नगला के किसानों को उनका हक दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। किसानों को अपने पक्ष में पैरवी के लिए 30 नवंबर तक का समय दिलाया गया है। हरसंभव कोशिश की जाएगी कि किसानों को उनका हक दिलाया जाएगा। किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
- हरीश शाक्य, जिलाध्यक्ष भाजपा
वर्जन ..
किसान अपनी तो आवास विकास परिषद के अधिकारी अपनी बात बता रहे हैं। विवाद की सूचना मिलने पर मैं खुद मौके पर पहुंचा और किसान व अधिकारियों से वार्ता की गई। चूंकि मिनी कुंभ का शुभारंभ हो चुका है ऐसे में कोई जल्दबाजी का निर्णय न लिया जाए इसलिए किसानों को 30 नवंबर तक का समय दिया गया है। गलत निर्णय नहीं लिया जाएगा। मेला ककोड़ा से जब प्रशासन पूरी तरह से फारिग हो जाएगा तो दोनों पक्षों से बात कर निपटारा कराया जाएगा।
- धर्मेंद्र शाक्य, शेखूपुर विधायक
---------------------------