पराली न जलाएं, बढ़ता है प्रदूषण : निशा
प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन सीटू योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र पर जनपदीय गोष्ठी आयोजित की गई।
फोटो 12 बीडीएन 51 - जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी में दिए गए सुझाव संसू, उझानी : प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इन सीटू योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र पर जनपदीय गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें फसल अवशेष न जलाएं विषय पर सीडीओ निशा अनंत ने कहा, पराली जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है। आगजनी की घटनाएं भी होती हैं। उप कृषि निदेशक डॉ.रामवीर कटारा ने कहा, पराली जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी के भौतिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अवशेष जलाने से हानिकारक कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्राइट आक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं। यह सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। पराली जलाने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ.संजय कुमार, डॉ.एसपी सिंह, डॉ.एसबी सिंह, डॉ.विमल सिंह, डॉ.सिद्धार्थ, जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार आदि मौजूद रहे। संचालन विषय वस्तु विशेषज्ञ एलएन शर्मा ने किया।