चायनीज झालर छोड़, मिट्टी के दीपों से रोशन करेंगे घर
दिवाली करीब आते ही सभी इस त्योहार पर घरों की साफ-सफाई से लेकर जरूरत के सामान की खरीदारी करने में लगे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, बदायूं : दिवाली करीब आते ही सभी इस त्योहार पर घरों की साफ-सफाई से लेकर जरूरत के सामान की खरीदारी करने में लगे हुए हैं। त्योहारी बाजार भी सजकर तैयार हो गया है। इस बार कुम्हारी कला के कारीगरों में भी थमे कारोबार में उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। इसकी बड़ी वजह है कि तमाम परिवारों ने अभी से मिट्टी के दीप बनाने के आर्डर दे दिए हैं। इस बार युवा भी कह रहे हैं कि वह चायनीज झालर छोड़कर अपने घरों को मिट्टी के दीप से ही रोशन करेंगे। करीब डेढ़ दशक से लोगों का रुझान चाइनीज झालरों की ओर ज्यादा बढ़ा तो मिट्टी के दीपकों की बिक्री काफी कम हो गई। इससे पहले मिट्टी के दीप, मोमबत्ती से ही घरों को सजाया जाता था। ऐसे में सस्ती झालरें आई तो परंपरा को भूलकर दिवाली पर उन्हीं झालरों से घरों को रोशन करने लगे। इससे मिट्टी के कारीगरों में हर त्योहार पर मायूसी ही नजर आती। मिट्टी से बनने वाले बर्तन, दीप आदि का काम भी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया। ऐसे में प्लास्टिक प्रतिबंध हुई और लोग स्वदेशी चीजों की ओर ज्यादा बढ़े तो मिट्टी के बर्तनों की भी डिमांड बढ़ने लगी। इस बदलाव के पीछे सोशल मीडिया पर चल रहीं सामाजिक जागरूकता वाली मूवी भी अहम मानी जा रही हैं। जिसे लोग अपने घरों में दिखा रहे हैं तो बच्चे भी अब उन दीपों की डिमांड करने लगे हैं।
रीडर कनेक्ट फोटो 16 बीडीएन-17
पिछले कई वर्षों से हर दिवाली पर मायूसी मिलती थी। इस बार लोगों में जागरूकता आई है इससे उम्मीद है कि यह त्योहार हमारा अच्छा जाएगा।
- वीरपाल, मिट्टी के कारीगर फोटो 16 बीडीएन-18
पहले लोग चाइनीज झालरों की वजह से मिट्टी के दीपक कम खरीदते थे इससे हम लोग आर्थिक संकट में आ गए थे।
- संजीव, मिट्टी के कारीगर फोटो 16 बीडीएन- 19
हम सभी युवाओं ने संकल्प लिया है कि मिट्टी के दीपकों से ही दिवाली पर घरों को रोशन करेंगे। ताकि हमारे घरों के साथ कुंभकार वर्ग के घर भी रोशन हो सके।
- पुनीत कश्यप, युवा फोटो 16 बीडीएन- 20
धार्मिक परंपरा के अनुसार दिवाली पर मिट्टी के दीपों से पूजन होता है। इस बार जागरूकता संदेश दिया जा रहा है कि सभी मिट्टी के ही दीपक से घरों को रोशन करें।
- ध्रुवदेव गुप्ता, युवा