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स्वाइन फ्लू को पहचानने में स्वास्थ्य महकमा फेल

मंडल में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। बरेली में भी इस बीमारी से जुड़ा केस मिल चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 07:12 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 07:12 AM (IST)
स्वाइन फ्लू को पहचानने में स्वास्थ्य महकमा फेल
स्वाइन फ्लू को पहचानने में स्वास्थ्य महकमा फेल

बदायूं : मंडल में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। बरेली में भी इस बीमारी से जुड़ा केस मिल चुका है। वहीं जिक्र बदायूं का करें तो यहां स्वाइन फ्लू की जांच का कोई संसाधन मौजूद नहीं है। लक्षणों के आधार पर आंकलन कर यहां से सेंपल लखनऊ एसजीपीजीआइ भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही उपचार मिलता है। इतना जरूर है कि स्वाइन फ्लू से निपटने की दवा यहां मौजूद है। स्वाइन फ्लू से जहां रामपुर के मिलक की उप निबंधक डॉ. विवेक तिवारी का निधन हो चुका है। वहीं बरेली में भी ऐसे मरीज मिल रहे हैं। सर्दी के दिनों में फैली इस बीमारी के बाद जहां पूरे मंडल में अलर्ट घोषित किया जा चुका है। बदायूं में इस बीमारी की जांच तक की सुविधा नहीं है, जबकि बारिश के अलावा सर्दी में भी यह बीमारी लोगों को जकड़ लेती है और सही समय पर पता न लगने पर जानलेवा भी साबित हो जाती है। चूंकि संक्रामक बीमारी है, ऐसे में इसे फैलने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है। चिकित्सकों की मानें तो यह बीमारी चंद दिनों में दर्जनों लोगों को चपेट में ले लेती है। यह बीमारी खांसने, छींकने से भी फैलती है। साथ ही सुअर पालकों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। इंसेट

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यह हैं लक्षण

जिला अस्पताल के फिजिशियन व ईएमओ डॉ. राजेश वर्मा के मुताबिक स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज को जुकाम, खांसी, सिरदर्द समेत हाथों-पैरों में दर्द और गला जाम रहता है। मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत होती है और निमोनिया का असर भी रहता है। खासियत यह है कि साधारण दवाओं से मरीज स्वस्थ नहीं हो पाता और उसकी हालत बिगड़ती चली जाती है। टेमीफ्लू नाम की दवा इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए असरकारक है।

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यह है जांच का तरीका

ऐसे मरीज मिलने पर जिला अस्पताल में संभावना के आधार पर मरीज का बलगम का सेंपल लेकर उसे जांच के लिए एसजीपीजीआई लखनऊ भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही इस बीमारी से ग्रसित मरीज को भर्ती करके इलाज शुरू किया जाता है।

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यह हैं तैयारियां

फोटो - 18 बीडीएन - 14

- जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीबी पुष्कर ने बताया कि स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीजों के लिए अलग से सेफहाउस बनाया गया है। आठ बेड वाले इस वार्ड में मरीजों को भर्ती किया जाता है। चूंकि वार्ड पूरी तरह से बंद है और अन्य मरीजों के वार्डों से दूर है, ऐसे में यहां से बीमारी फैलने की आशंका काफी काम रहती है। मरीजों समेत उनके तीमारदारों को भी उनसे दूर रखा जाता है। साथ ही संबंधित चिकित्सक समेत स्टाफ और तीमारदार जब भी उससे मिलेंगे तो मास्क की व्यवस्था की गई है।

वर्जन

स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन और इंजेक्शन मौजूद हैं। हालांकि जिले में अभी ऐसा कोई केस नहीं मिला है। अगर मिलता है तो मरीज की जांच के बाद ही इन दवाओं का उपयोग किया जाएगा। इसका बीमारी का कोई विशेष मानक नहीं होता, लक्षणों के आधार पर ही मरीज का सेंपल भेजा जाता है।

- डॉ. मंजीत ¨सह, प्रभारी सीएमओ

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