मौलाना अबुल कलाम ने दी शिक्षा को नई दिशा
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के कैंप कार्यालय पर मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती मनाई गई।
जासं, बदायूं : कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के कैंप कार्यालय पर मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती मनाई गई। वाइस चेयरमैन बब्बू चौधरी के नेतृत्व एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव ओमकार ¨सह ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने 11 वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आजाद को ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अर्थात आइआइटी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।
संगीत नाटक अकादमी (1953) साहित्य अकादमी (1954) ललितकला अकादमी (1954) केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सारभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निश्शुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की। विशिष्ट अतिथि शफी अहमद ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। अध्यक्षता अल्पसंख्यक विभाग के वाइस चेयरमैन बब्बू चौधरी ने की। संचालन युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष रफत अली खान सूरी ने किया। मंसूर, मु.अली, फिराज, अजमत, अनिल साहू, राजीव मौजूद रहे।