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गाधी जी ने कहा था, अंग्रेजों को भगाकर ही दम लेना

वह 30 जून 1930 का दिन था। जेठ की दोपहरी में चिलचिलाती धूप थी। पसीने से हर कोई तर-बतर था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:32 AM (IST)
गाधी जी ने कहा था, अंग्रेजों को भगाकर ही दम लेना
गाधी जी ने कहा था, अंग्रेजों को भगाकर ही दम लेना

बदायूं: वह 30 जून 1930 का दिन था। जेठ की दोपहरी में चिलचिलाती धूप थी। पसीने से हर कोई तर-बतर, लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। हर किसी के कदम रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ रहे थे। स्वतंत्रता आंदोलन के प्रणेता महात्मा गांधी की एक झलक पाने के लिए सभी महिला, पुरुष और बच्चे सभी बेताब थे। सफेद धोती पहने लंबे कद के बापू जैसे ही रेलवे स्टेशन के पास सभा स्थल पर पहुंचे तो पूरा मैदान वंदेमातरम और भारत माता की जय के उद्घोष से गूंज उठा। मंच पर आते ही गांधी जी ने आह्वान किया था कि अब अंग्रेजों को भगाकर ही दम लेना। वह दिन, पल और बापू की छवि अब भी मेरी आंखों में ताजा है। महात्मा गांधी से जुड़ी यह यादें सामने आते ही भावुक हो गए कस्बा गुलड़िया के 96 वर्षीय नत्थू सिंह ने।

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ककराला तक गया था में बापू के काफिले में

बहुत करीब से उस दिन महात्मा गांधी को देखने का मौका मिला था। उम्र के उस पड़ाव में भी उनके चेहरे पर तेज था। आवाज में जोश था। शरीर खुद संघर्ष की भाषा बयां कर रहा था। बापू ने अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के लिए लोगों में जोश भरा। पूरी भीड़ आजादी के लिए संघर्ष करने को आतुर थी। संबोधन समाप्त हुआ। मैं बेहटा गुसाई से उझानी होते हुए ककराला तक उनके काफिले में साथ गया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुंशी हेतराम सिंह, मुंशी टीकाराम सिंह सहित सैकड़ों लोग साथ में थे। कारवा बढ़ता जा रहा था। बापू के नेतृत्व में देश ने आखिर 15 अगस्त 1947 को आजादी का वह सूरज देखा, जिसके लिए यह संघर्ष किया गया। यह आंदोलन किया गया था।

.जब बापू को पहनाई थी माला

उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके नत्थू सिंह बापू का जिक्र होते ही स्मृतियों में डूब गए। उन्होंने बताया कि महात्मा गाधी दूसरी बार शहर के आर्य समाज पर आए थे। आदोलनकारियों को सलाह दी थी कि अंग्रेजों से न घबनाएं, डटकर मुकाबला करें। 17 जनवरी 1935 में वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ बगिया स्थित पुलिया पर पहुंचे थे। मैं अपने चाचा मुंशी हेतराम सिंह के साथ गया था। वहां चाचा के साथ गांधी जी को फूलों की माला पहनाई थी।


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