नगला गांव में सुलग रही मुआवजे की ¨चगारी
आवास विकास परिषद के फेस टू के नाम पर खरीदी गई जमीन अब चालीस साल बाद विवाद का रूप ले रहा है।
बदायूं : आवास विकास परिषद के फेस टू के नाम पर खरीदी गई जमीन अब चालीस साल बाद विवाद का रूप लेती जा रही है। शुक्रवार को जहां प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने मामला सुलझाया वहीं, अब किसान लामबंदी करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। किसान आज के समय की कीमत मांग रहे हैं, जबकि प्रशासनिक अमला उस वक्त में राजस्व सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा देने की बात कर रहा है। देखना है कि अब फैसला किसके पक्ष में जाता है। हालांकि कोर्ट पूर्व में ही आवास विकास परिषद के पक्ष में ही फैसला सुना चुका है।
आवास विकास परिषद के ए और बी ब्लॉक बनने के बाद फेस टू की तैयारी की गई थी। नगला गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ। उनको करीब चालीस साल पहले उस वक्त के रेटों के आधार पर मुआवजा दे दिया था। कुछ किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया था। इसके बाद किसान उस जमीन पर खेती करते रहे। आवास विकास फेस टू का विस्तार अधर में लटका तो किसानों से उस वक्त जमीन खाली नहीं कराई गई। चूंकि जमीन खाली पड़ी थी इसलिए किसानों से खेती करने को मना नहीं किया गया। अब आवास विकास के विस्तार की योजना बनी तो जमीन खाली कराने को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद किसान आंदोलन के रूप में मैदान में आ गए। वह मौजूदा वक्त के दाम मांगने लगे। तीन दिन पहले एसडीएम सदर पारसनाथ मौर्य संबंधित अधिकारियों के साथ पहुंचे तो किसानों ने चिह्नीकरण का विरोध किया। इस बात पर वहां पीएसी भी बुलाई गई थी। अगले दिन जेसीबी चलवाने की कोशिश की तो किसान मैदान में आ गए। अब उन्हें तीस तारीख तक का वक्त दिया गया है। मगर, किसान काफी आक्रोशित है।