अब ईओडब्ल्यू करेगी चार विभागों के घोटाले की जांच
जिले के चार विभागों में हुए दो करोड़ 47 लाख 79 हजार 723 रुपये 80 पैसे के घोटाले की विवेचना अब आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) करेगा।
जागरण संवाददाता, बदायूं : जिले के चार विभागों में हुए दो करोड़ 47 लाख 79 हजार 723 रुपये 80 पैसे के घोटाले की विवेचना अब आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) करेगी। पुलिस की ओर से इस मामले की विवेचना ट्रांसफर के लिए की गई पैरवी शासन ने मान ली है। इसका पत्र भी बदायूं पुलिस को मिल चुका है। आने वाले दिनों में इस घोटाले को अंजाम देने वालों की गर्दन पर फंदा कसने की उम्मीद है।
समाज कल्याण, अल्पसंख्यक, दिव्यांगजन सशक्तीकरण व प्रोबेशन विभाग में हुए इस घोटाले का मुकदमा 15 मई को सिविल लाइंस थाने में दर्ज हुआ था। सहायक आयुक्त एवं निबंधन सहकारिता राघवेंद्र सिंह मुकदमे में वादी बने थे। फौरी तौर पर इसमें 65 लोग नामजद किए गए थे। इनमें डीसीबी के कई शाखा प्रबंधक, मदरसा संचालक, विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य आदि शामिल थे।
डेढ़ सौ से अधिक लोगों की मिलीभगत
- पुलिस ने इस मुकदमे की विवेचना अपने स्तर से शुरू नहीं की थी लेकिन यह कयास अभी भी लगाया जा रहा है कि इस घोटाले में कम से कम डेढ़ सौ लोगों की मिलीभगत रही होगी। 65 लोग तो वो हैं, जिनकी गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है। जबकि पर्दे के पीछे इन गड़बड़ी करने वालों के मददगार भी होंगे। हाइकोर्ट की शरण में पहुंचे कई लोग
- मुकदमा दर्ज होने के बाद कई लोग खुद को बचाने की जुगत में लग गए। कुछ राजनैतिक आकाओं की शरण में गए तो कुछ ने हाइकोर्ट की शरण लेते हुए गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश लाने को भी प्रक्रिया शुरू कर दी। ताकि किसी भी सूरत में गिरफ्तारी से बचा जा सके। इस पूरे घोटाले में कहीं मदरसा और स्कूलों की छात्रवृत्ति निकाली गई तो कहीं दिव्यांगजनों को दी जाने वाली सहायता में खेल हुआ है। इसलिए भेजी गई जांच
नियम के मुताबिक 50 लाख से अधिक के गबन की जांच थानास्तर से नहीं हो सकती। ऐसे में एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने शासन को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीसीआइडी या आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा से कराने की पैरवी की थी। वर्जन
मामले की विवेचना ट्रांसफर का निर्देश मिल चुका है। विवेचक वहां से आएंगे तो केस डायरी उन्हें सौंप दी जाएगी।
ओपी गौतम, एसएचओ सिविल लाइंस