Move to Jagran APP

सिस्टम की बेरुखी से न अमरूद की मिठास बची न पैदावार

ककराला फलपट्टी में अमरूद के बाग सूखने लगे हैं। अनदेखी से अन्नदाता बेहाल हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 12:13 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 12:13 AM (IST)
सिस्टम की बेरुखी से न अमरूद की मिठास बची न पैदावार
सिस्टम की बेरुखी से न अमरूद की मिठास बची न पैदावार

ककराला (बदायूं) : ककराला फलपट्टी में अमरूद के बाग सूखने लगे हैं। लगभग एक लाख की आबादी वाले कस्बे और उससे लगे आसपास के अन्नदाता बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। एक दशक पहले तक की बात करें तो कई हजार एकड़ क्षेत्रफल में फैले अमरूद के हरे भरे बाग नजर आते थे, लेकिन वर्तमान में इनकी हालात खस्ता हो गई है। अब यह बाग यदाकदा ही नजर आते हैं। एक दशक में अमरूद की बागबानी को 90 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है। जानकारों की माने तो ऐसा उखटा रोग की वजह से हुआ है।

loksabha election banner

ककराला का स्वादिष्ट अमरूद प्रदेश में ही नहीं समूचे देश में पहचान रखता था। आस-पास के देशों तक में इसकी सप्लाई की जाती थी। इलाके के गभ्याई स्थित नर्सरी पर यह जिम्मेदारी थी कि इलाकाई बागवानों के खेतों की मिट्टी का परीक्षण कराकर उनका सही मार्गदर्शन करें, लेकिन उदासीनता के चलते यह भी संभव नहीं हुआ और अमरूद के बाग खत्म होने लगे हैं। बागवानी करने वाले किसानों का कहना है कि सीजन में प्रति दिन अकेले ककराला से करीब दो सौ से ढाई सौ ट्रक अमरूद देश की विभिन्न मंडियों में पहुंचता था और सीजन में कई करोड़ रुपये का व्यापार होता था। जिससे मंडी समिति को टैक्स के रूप में प्रति वर्ष करोड़ों रूपये अर्जित होते थे, लेकिन अमरूद की पैदावार 90 प्रतिशत तक घट जाने की वजह से मंडी में जमा होने वाले शुल्क में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। पांच साल के अंतराल पर फसल का रोटेट होते रहना जरूरी है। जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कायम रहती है, लेकिन किसानों को विभाग की तरफ से कोई जानकारी ही मुहैया नहीं हुई। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से संचालित कृषि से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी किसानों तक नही पहुंच पाती वैसे नियमानुसार फल पट्टी को सभी मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन न तो किसी तरह की कार्यशाला आयोजित की गई और न ही बैठक कर कोई उपयोगी जानकारी दी गई।

फोटो 09 बीडीएन - 58

कस्बे ने फल उत्पादन में जो कुछ किया अपने बलबूते पर किया इसमें उद्यान विभाग ने किसी तरह का सहयोग नहीं किया है। करोड़ों रुपये मंडी टैक्स के नाम पर लिया गया, लेकिन बदले में कुछ भी नहीं मिला। अमरूद की बागवानी लगभग खत्म हो गई है।

- शाहिद, बागवान

क्या कहते हैं व्यापारी फोटो 09 बीडीएन - 59

- व्यापार जगत के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है। सरकार जिस जगह की जो चीज मशहूर है उसके उद्योग व्यापार पर ध्यान देने की बात कह रही है, लेकिन पूरे देश मे मशहूर अमरूद पर किसी का ध्यान नहीं है।

- फिरोज, व्यापारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.