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भ्रष्टाचार का करें विरोध, हक से लें अपना अधिकार

शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नगर पालिका या फिर नगर पंचायत प्रशासन ने समाधान के अधिकार दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 12:51 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 12:51 AM (IST)
भ्रष्टाचार का करें विरोध, हक से लें अपना अधिकार
भ्रष्टाचार का करें विरोध, हक से लें अपना अधिकार

बदायूं : शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नगर पालिका या फिर नगर पंचायत प्रशासन की ओर से आम लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान कराने के अधिकार दिए गए हैं। आम नागरिक होने की हैसियत से शिकायत करने के तुरंत बाद अगर समस्या का समाधान नहीं होता है तो वह जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत उसकी सूचना मांग सकता है। इसके साथ ही वहां पर मौजूद भ्रष्टाचार के चलते अगर सुविधा शुल्क मांगा जाता है तो आम नागरिक भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अदालत की शरण लेकर मुकदमा दर्ज करा सकता है। बात स्थानीय नगर पालिका की करें तो यहां लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वजह है कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर किसी भी शिकायत का समय से निपटारा नहीं हो पाता है। इसकी शिकायतें अभी चल रही हैं तो गंदगी दूर न होने पर जालंधरी सराय के कुछ लोगों ने पालिका के खिलाफ अदालत की भी शरण ली है।

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नगर पालिका में यह हैं आम आदमी के अधिकार

- जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की समय सीमा : 20 दिन

- बिजली, पानी, गंदगी की शिकायत के निपटारे की समय सीमा : 24 घंटे के भीतर

- शहरी क्षेत्र में आवास न होने की दशा में आíथक स्थिति का आंकलन करते हुए आवासीय योजना का लाभ दिया जाना

- बेसहारा, गरीब और दिव्यांग लोगों को आवेदन के एक महीने के अंदर पेंशन का लाभ दिलाना

- जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन करने वाले को तीस दिन के अंदर सूचना मुहैया कराना

घरेलू सिलेंडर से लेकर पेट्रोल पंप तक आम नागरिक को हैं यह अधिकार

केंद्र सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने गैस एजेंसी से लेकर पेट्रोल पंप तक आम आदमी के हित में तमाम अधिकार दिए हैं। गैस एजेंसी पर आवेदन करने के सात दिन के अंदर घरेलू गैस कनेक्शन दिया जाएगा। उपभोक्ता के गैस कनेक्शन कार्ड पर यूनिट को देखते हुए उसकी जरूरत के हिसाब से घर बैठे गैस सि¨लडर मुहैया कराए जाने का प्रावधान है। ऐसा अगर किसी एजेंसी की ओर से नहीं किया जाता है तो संबंधित गैस एजेंसी के खिलाफ पेट्रोलियम मंत्रालय के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके साथ ही पेट्रोल पंप पर निश्शुल्क शौचालय के साथ ही वाहनों में निश्शुल्क हवा डालने का प्रावधान है। किसी पेट्रोल पंप पर अगर यह सुविधा नहीं दी जाती है तो शिकायत के 24 घंटे के अंदर उस पेट्रोल पंप का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। वाहन में तेल भरवाते वक्त अगर गड़बड़ी दिखाई देती है तो वाहन चालक उस तेल को टैंक से निकलवाकर खुद चेक कर सकते हैं। घटतौली की शिकायत पर भी तुरंत टीम मौके पर जाकर कार्रवाई करेगी। तीसरी पीढ़ी को मिलेगा बिजली का अधिकार

- विद्युतीकरण को लेकर हुए सर्वे में यह सामने आया कि जिले के 128 गांवों में आजादी के बाद से अभी तक बिजली ही नहीं पहुंच सकी थी। एक पीढ़ी अंधेरे में पैदा हुई और पूरा जीवन अंधेरे में काट दिया। जबकि दूसरी पीढ़ी भी अधेड़ावस्था में पहुंच चुकी है। जबकि तीसरी पीढ़ी बिजली की रोशनी देखेगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। क्योंकि 25 दिसंबर तक इन गांवों का विद्युतीकरण पूरा करने का लक्ष्य है। वहीं महकमा इस लक्ष्य से कोसों दूर है। सुरक्षा का अधिकार

- सुरक्षा का अधिकार हर आम और खास आदमी को है लेकिन मौजूदा वक्त में समाज में अराजकता और अपराधियों का भय स्पष्ट दिखाई पर पड़ा रहा है। जहां घरों में चोरी और लूटपाट की घटनाएं आम हो चुकी हैं। वहीं आधी आबादी के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म और घरेलू ¨हसा सरीखी वारदातों के भी जिले में तमाम मुकदमे दर्ज हैं।49 मुकदमे बलात्कार के दर्ज हैं और 41 बेटियां दहेज की बलि चढ़ गई हैं। जबकि छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती रहती हैं।

परिवहन का अधिकार

- बदायूं डिपो पर परिवहन विभाग की 140 बसें मौजूद हैं। सभी में ईटीएम भी आवंटित की गई है। वहीं सुगम यात्रा का स्लोगन टिकट पर तो लिखा रहता है लेकिन सर्दी में भी अधिकांश बसों के शीशे टूटे हुए हैं। नतीजतन मुसाफिरों को सर्द हवाएं झेलते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचना पड़ता है। इसके अलावा परिचालक अक्सर ईटीएम खराब होने का हवाला देते हुए मैनुअल टिकट काटना शुरू कर देते हैं और मुसाफिरों से मनमाना किराया वसूल लेते हैं। कई बार तो टिकट भी नहीं दिया जाता और किराया ले लिया जाता है। यात्रा सुरक्षित हो इसके लिए बसों की गति नियंत्रित रखने के साथ इसकी निगरानी के लिए जीपीएस भी लगाए गए थे लेकिन जीपीएस खराब हो चुके हैं और ड्राइवर मनमाफिक तरीके से बसें दौड़ाते रहते हैं, जो हादसों का सबब भी बनती है। इतना ही नहीं अधिकांश बसों को दिल्ली रूट पर लगाया गया है, ऐसे में छोटे रूट के मुसाफिरों को बस होने बाद भी डग्गामारों का सहारा लेना पड़ता है।


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