दिल्ली से नहीं आ रहा माल, स्टाक से कपड़े बेच रहे दुकानदार
जेएनएन बदायूं होली पर कपड़ों का बाजार सज चुका है लेकिन इस बार दिल्ली से नया माल न पहुंचने के कारण व्यापारी स्टाक में रखा माल ही बेच रहे हैं। हालांकि भीड़ जुटने लगी है। कपड़ों के साथ रंग पिचकारी और जूतों की भी जमकर बिक्री हो रही है। इधर नो पार्किंग व्यवस्था लागू न होने के कारण बाजार में जाम के हालात भी बन रहे हैं।
जेएनएन, बदायूं : होली पर कपड़ों का बाजार सज चुका है लेकिन इस बार दिल्ली से नया माल न पहुंचने के कारण व्यापारी स्टाक में रखा माल ही बेच रहे हैं। हालांकि भीड़ जुटने लगी है। कपड़ों के साथ रंग, पिचकारी और जूतों की भी जमकर बिक्री हो रही है। इधर, नो पार्किंग व्यवस्था लागू न होने के कारण बाजार में जाम के हालात भी बन रहे हैं।
बाजार पर अब होली का रंग चढ़ने लगा है। दुकानों पर रंग और गुलाल की बिक्री भी हो रही है। हालांकि अभी स्कूलों में होली का अवकाश न होने के कारण बच्चे सड़कों पर रंग और पिचकारी लेकर नहीं निकले हैं। घरों में त्योहार की तैयारियां चल रही हैं। कचरी-पापड़ के अलावा अन्य पकवान भी बनाए जा रहे हैं। ताकि मेहमानों का स्वागत किया जा सके। रंग के बाद एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देने के लिए कपड़े भी खरीदे जा रहे हैं। दिल्ली में चल रहे हिसक माहौल के कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है। क्योंकि वहां से नए कपड़ों समेत अन्य सामान की रेंज यहां नहीं पहुंच पा रही है। इंसेट
मिलावटखोर सक्रिय
संसू, उघैती : होली का त्योहार नजदीक आते ही मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री ने जोर पकड़ लिया है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते खितौरा, करियमाई, रियोनाई, सोरहा सहित क्षेत्र कई गांवों में इन दिनों मिलावटी सरसों के तेल की बिक्री जोरों पर चल रही है। जिसके खाने से यहां कभी संक्रामक रोग फैल सकते है। वहीं विभाग इस ओर से अपनी आंखे मूंदे पड़ा है। जिससे लोगों में रोष है। बताया जाता है कि बाजार से खरीदे गए तेल को खाने से सीने पर जलन आदि की शिकायतें मिल रही है। इंसेट
होलस्टक शुरू, शुभकार्यों को लगा विराम
मंगलवार यानी आज से होलस्टक भी लग चुके हैं। पंडित गिरीश कुमार ने बताया कि सनातनी धर्मग्रन्थों अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से आठ दिन के लिए हॉलास्टक का अशुभ समय बनता हैं इसमें विवाह आदि शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जाता है फाल्गुन पूर्णिमा को ये होलास्टक विराम हो जाते हैं। होलिका द्वारा आग में जलाकर मारने से पूर्व आठ दिन ( फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से ) हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को घोर रूप से शारीरिक कष्ट और यातनाएं दी गई थीं। यह दुखद स्थिति देखकर देवताओं से लेकर मानव तक सभी विवश थे। इसलिए किसी ने शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए। इस अवधि में अब विवाह कार्य, नामकरण संस्कार, मुंडन संस्कार, विद्या आरंभ्व, ग्रह प्रवेश, ग्रह निर्माण, यज्ञोपवीत संस्कार नवीन व्यापार प्रारंभ आदि काम वर्जित होंगे।
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