फल वितरित होते नहीं, कैसे बने बच्चों की सेहत
मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की फल की योजना नहीं सुधर पा रही है।
जागरण संवाददाता, बदायूं : मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की फल की योजना नहीं सुधर पा रही है। योजना छात्र-छात्राओं की सेहत बनाने की बजाय शिक्षक-शिक्षिकाओं की सेहत संवार रही है। बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों के विद्यालयों का निरीक्षण कर फल वितरण की स्थिति न जांचने की वजह से बच्चे फल से वंचित रह रहे हैं। कोई स्थिति चेक करने जाता भी है तो लंच के बाद फल मंगवाने या बजार में फल न मिलने की जानकारी दी जाती है। बेसिक शिक्षा विभाग में संचालित मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत शासन स्तर से ही मेन्यू दिया गया है। जिसके अनुसार हर सोमवार को परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को फल खिलाने के लिए प्रति बच्चा चार रुपये का भुगतान किया जाता है। विद्यालयों के खाते में विभाग की ओर से रूपये भेजे जाते हैं। जिसमें मौसमी खिलाने का नियम है। सोमवार को शहर के विद्यालयों की स्थिति देखी गई। साढ़े दस बजे से लंच शुरू ही नहीं किया गया। सुबह से भूखे बच्चे फल तो दूर मध्याह्न भोजन का इंतजार करते रहे। हालांकि भोजन के लिए दरी बिछी दी गई थी। प्रधानाध्यापकों ने बताया कि रोटी-सब्जी वाले दिन थोड़ा विलंब हो जाता है। वहीं फल के बारे में जानकारी करने पर बहानेबाजी करने लगे। किसी ने कहा कि बजार में फल नहीं मिल रहे तो किसी ने लंच के बाद फल मंगवाने की बात कह दी। अब विभाग को समझना होगा कि लंच के बाद फल कितने वितरित होते होंगे। बच्चों से भी पूछने पर उन्होंने एक बार प्रधानाध्यापक की ओर देखा तब कोई जवाब दिया। वर्जन..
विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को सख्त निर्देश दिया गया है कि योजना को लेकर किसी भी प्रकार की शिथिलता न बरतने को कहा गया है। निरीक्षण के दौरान फल वितरण की स्थिति देखी जाएगी। अनियमितता होने पर कार्रवाई होगी।
- रामपाल सिंह राजपूत, बीएसए